शिक्षक प्रेरणा कार्यशाला एवं नव-प्रवेशित बच्चों को शैक्षिक सामग्री वितरण समारोह संपन्न
पनियरा, महराजगंज, उत्तर प्रदेश
प्राथमिक विद्यालय देवीपुर द्वितीय में एक भव्य आयोजन के तहत शिक्षक प्रेरणा कार्यशाला एवं कक्षा-1 के नव-प्रवेशित बच्चों को स्कूल बैग, कॉपी, पेंसिल, रबर, और कटर जैसी शैक्षिक सामग्री का वितरण किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में खण्ड शिक्षा अधिकारी, पनियरा शिवकुमार तथा ग्राम प्रधान, देवीपुर रमेश यादव उपस्थित रहे। इसके अतिरिक्त, ARP पनियरा संजय शुक्ला भी कार्यक्रम की शोभा बढ़ाने हेतु उपस्थित थे।
कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों को बैच पहनाकर किया गया। तत्पश्चात, विद्यालय के प्रधानाध्यापक सुभानल्लाह ने कार्यशाला का एजेंडा प्रस्तुत किया और सभी अतिथियों का हार्दिक स्वागत किया। इसके उपरांत सुबी परवीन की ओर से कक्षा-1 के बच्चों को शैक्षिक सामग्री का वितरण खण्ड शिक्षा अधिकारी, ग्राम प्रधान, और विद्यालय के शिक्षकों द्वारा किया गया, जिससे बच्चों के चेहरों पर खुशी और उत्साह स्पष्ट झलक रहा था।_
कार्यक्रम के अगले चरण में शिक्षक प्रेरणा कार्यशाला का आयोजन किया गया। खण्ड शिक्षा अधिकारी शिवकुमार ने निपुण भारत योजना के अंतर्गत बच्चों को निपुण बनाने की कार्ययोजना पर विस्तृत चर्चा की और शिक्षकों को इसके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए प्रेरित किया। ARP संजय शुक्ला ने शिक्षक डायरी, संदर्शिका, और निपुण तालिका के उपयोग पर जोर देते हुए शिक्षण कार्य में इनके महत्व को समझाया।
ग्राम प्रधान रमेश यादव ने अपने संबोधन में शिक्षकों से बच्चों की शिक्षा पर पूर्ण ध्यान देने का आह्वान किया और आश्वासन दिया कि विद्यालय की अन्य सभी आवश्यकताओं को वे स्वयं पूरा करेंगे। प्रधानाध्यापक सुभानल्लाह ने कार्यशाला की उपयोगिता पर प्रकाश डाला और पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष बढ़े हुए नामांकन की सराहना करते हुए समस्त स्टाफ के सहयोग को रेखांकित किया।_
कार्यक्रम के अंत में, ग्राम प्रधान और प्रधानाध्यापक द्वारा खण्ड शिक्षा अधिकारी शिवकुमार को स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। प्रधानाध्यापक सुभानल्लाह ने सभी अतिथियों द्वारा दिए गए बहुमूल्य सुझावों के लिए हृदय से आभार व्यक्त किया।_
इस आयोजन को सफल बनाने में विद्यालय के समस्त स्टाफ, विशेष रूप से सुरेश प्रताप यादव, आनंद स्वरूप, अंजली और सुबी परवीन का सहयोग सराहनीय रहा। यह कार्यक्रम न केवल शिक्षकों और बच्चों के लिए प्रेरणादायक रहा, बल्कि विद्यालय में शैक्षिक गुणवत्ता और सामुदायिक सहभागिता को बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण सिद्ध हुआ।