दो सौ बच्चों को बताया गया इमाम हुसैन की जिंदगी व मिशन के बारे में।
कर्बला के शहीदों की याद में लबों पर जारी 'या हुसैन' की सदा
भारत समाचार एजेंसी
सैय्यद फरहान अहमद
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
मुहर्रम की 8वीं तारीख को मस्जिदों व घरों में हजरत इमाम हुसैन व उनके जांनिसारों की याद में महफिलों का दौर जारी रहा। मस्जिदों, घरों व इमाम चौकों पर फातिहा ख्वानी हुई। गौसे आजम फाउंडेशन ने शहर में कई जगहों पर लंगरे हुसैनी बांटा।
शुक्रवार को जामिया अल इस्लाह एकेडमी नौरंगाबाद गोरखनाथ में बच्चों के लिए 'हमारे हैं हुसैन' विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई। पोस्टर प्रदर्शनी लगी। करीब दो सौ बच्चों को इमाम हुसैन की जिंदगी व मिशन के बारे में बताया गया। इमाम हुसैन की जिंदगी पर आधारित पर्चा बांटा गया। बच्चों ने सामूहिक कुरआन ख्वानी की।
मुख्य वक्ता कारी मुहम्मद अनस रजवी ने कहा कि इमाम हुसैन ने इस्लाम धर्म की खातिर सब कुछ कुर्बान कर दिया लेकिन जुल्म करने वालों के आगे सिर नहीं झुकाया। इमाम हुसैन ने इस्लाम धर्म का झंडा बुलंद कर नमाज, रोजा, अजान व इस्लाम धर्म के तमाम कवानीन की हिफाजत की।
अध्यक्षता करते हुए हाफिज रहमत अली निजामी ने कहा कि कर्बला से हक की राह में कुर्बान हो जाने का सबक मिलता है। कर्बला के शहीदों की कुर्बानियों से ताकतवर से ताकतवर के सामने हक के लिए डटे रहने का जज्बा पैदा होता है। यदि आपको इमाम हुसैन से सच्ची मुहब्बत है तो उनके नक्शे कदम पर चलने की पूरी कोशिश कीजिए।
विद्यालय के संचालक आसिफ महमूद ने कहा कि जो लोग अल्लाह की राह में अपनी जान कुर्बान कर देते हैं वह शहीद हो जाते हैं और शहीद कभी नहीं मरता बल्कि वह जिंदा रहता है। इमाम हुसैन व उनके जांनिसार आज भी जिंदा हैं।
अंत में दरूदो सलाम पढ़कर मुल्क में अमन व अमान की दुआ मांगी गई। बच्चों में शीरीनी व शरबत बांटा गया। संगोष्ठी में प्रधानाचार्या आयशा खातून, उप प्रधानाचार्या शीरीन आसिफ, बेलाल अहमद, आरजू, गुल अफ्शा, अदीबा, फरहीन, मंतशा, सना, आफरीन, नाजिया, फरहत, यासमीन, आयशा, तानिया, सैयद शम्स आलम आदि मौजूद रहे।
जुमा की तकरीर में बयां हुई कर्बला की दास्तां।
जुमा की तकरीर में उलमा किराम ने इमाम हुसैन व शुहदाए कर्बला की शिक्षाओं पर रोशनी डाली। मदीना मस्जिद रेती चौक के इमाम मुफ्ती मेराज अहमद ने कहा कि पैगंबरे इस्लाम हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया हसन और हुसैन दोनों दुनिया में मेरे दो फूल हैं। पैगंबरे इस्लाम से पूछा गया कि अहले बैत में आपको सबसे ज्यादा कौन प्यारा है? तो आपने फरमाया हसन और हुसैन। पैगंबरे इस्लाम हजरत फातिमा से फरमाते थे कि मेरे पास बच्चों को बुलाओ, फिर उन्हें सूंघते थे और अपने कलेजे से लगाते थे।
चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर के इमाम मौलाना महमूद रजा कादरी ने कहा कि इमाम हुसैन ने अजीम कुर्बानी पेश कर बातिल कुव्वतों को करारी शिकस्त दी। इमाम हुसैन व उनके जांनिसारों को सलाम जिन्होंने हक की आवाज बुलंद की और इस्लाम धर्म को बचा लिया। करीब 56 साल पांच माह पांच दिन की उम्र शरीफ में जुमा के दिन मुहर्रम की 10वीं तारीख सन् 61 हिजरी में इमाम हुसैन इस दुनिया को अलविदा कह गए। अहले बैत (पैगंबरे इस्लाम के घर वाले) में से कुल 17 हजरात इमाम हुसैन के हमराह हाजिर होकर रुतबा-ए-शहादत को पहुंचे। कुल 72 अफराद ने शहादत पाई। यजीदी फौजों ने बचे हुए लोगों पर बहुत जुल्म किया।
जिक्रे शुहदाए कर्बला महफिल का दौर जारी, आंखें नम
मस्जिद व घरों में जारी महफिल जिक्रे शुहदाए कर्बला में उलमा किराम ने ‘शहीद-ए-आजम इमाम हुसैन’ व कर्बला के शहीदों की कुर्बानियों पर विस्तार से प्रकाश डाला। जिसे सुनकर अकीदतमंदों की आंखें नम हो गईं और लबों से 'या हुसैन' की सदा जारी हुई।
गौसिया जामा मस्जिद छोटे काजीपुर में मौलाना मुहम्मद अहमद ने कहा कि कर्बला के मैदान में जबरदस्त मुकाबला हक और बातिल के बीच शुरू हुआ। तीर, नेजा और तलवार के बहत्तर जख्म खाने के बाद इमाम हुसैन सजदे में गिरे और अल्लाह का शुक्र अदा करते हुए शहीद हो गए।
रसूलपुर जामा मस्जिद में मौलाना जहांगीर अहमद ने कहा कि इमाम हुसैन ने हमें पैगाम दिया कि जो बुरा है उसकी बुराई दुनिया के सामने पेश करके बुराई को खत्म करने की कोशिश करनी चाहिए। इसके लिए चाहे जिस चीज की कुर्बानी देनी पड़े, ताकि दुनिया में जो अच्छी सोसाइटी के ईमानदार लोग हैं वह अमन व अमान के साथ अपनी जिंदगी गुजार सकें।
रहमतनगर में सामूहिक रोजा इफ्तार आज व कल
गौसे आजम फाउंडेशन की ओर से शनिवार (नौवीं मुहर्रम) व रविवार (दसवीं मुहर्रम) को शाम 6:58 बजे सुन्नी बहादुरिया जामा मस्जिद रहमतनगर पर सामूहिक रोजा इफ्तार का आयोजन किया जाएगा। यह जानकारी फाउंडेशन के जिलाध्यक्ष समीर अली ने दी है।
मुफ्ती-ए-शहर अख्तर हुसैन ने मुस्लिम समाज से अपील की है कि नौवीं व दसवीं मुहर्रम को सभी लोग रोजा रखें। इबादत करें। नौवीं व दसवीं मुहर्रम का रोजा रखने की हदीस में बहुत फजीलत आई है। नौवीं व दसवीं मुहर्रम दोनों दिन का रोजा रखना अफजल है।
मुफ्ती मुहम्मद अजहर शम्सी ने बताया कि नौवीं मुहर्रम (5 जुलाई) को सहरी का आखिरी वक्त सुबह 3:33 बजे व इफ्तार का वक्त शाम में 6:58 बजे है। वहीं दसवीं मुहर्रम (6 जुलाई) को सहरी का आखिरी वक्त सुबह 3:33 बजे व इफ्तार का वक्त शाम में 6:58 बजे है।
आज देखिए लाइन की ताजिया
शनिवार नौवीं मुहर्रम की रात में लाइन की ताजियों का जुलूस आकर्षण का केंद्र होगा। जिसमें देश-विदेश की मस्जिदों व दरगाहों का मॉडल ताजिया के रूप में देखने को मिलेगा। शनिवार शाम को ही छोटी-बड़ी ताजिया इमाम चौकों पर रख दी जाएगी। इमाम हुसैन व शुहदाए कर्बला के इसाले सवाब के लिए घरों, मस्जिदों व इमाम चौकों पर फातिहा ख्वानी होगी। शरबत, खिचड़ा व मलीदा पर फातिहा पढ़कर अकीदतमंदों में बांटा जाएगा। शहर के विभिन्न इमाम चौकों से जुलूस भी निकलेगा।