इमाम हुसैन व शुहदाए कर्बला की याद में घर-घर हुई फातिहा ख्वानी।
भारत समाचार एजेंसी
सैय्यद फरहान अहमद
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
नौवीं मुहर्रम को अकीदतमंदों ने विविध तरीकों से हजरत सैयदना इमाम हुसैन व शुहदाए कर्बला को खिराजे अकीदत पेश किया। उलमा किराम ने हजरत इमाम हुसैन व शुहदाए कर्बला की जिंदगी व तालीमात पर रोशनी डाली। इमाम हुसैन, अहले बैत व कर्बला के शहीदों की याद में कुरआन ख्वानी, फातिहा ख्वानी व दुआ ख्वानी हुई। जिन लोगों ने नौवीं मुहर्रम को रोजा रखा था उन्होंने शाम को रोजा खोलकर अल्लाह का शुक्र अदा करते हुए इबादत की। अकीदतमंदों ने घर व मस्जिद में कुरआन-ए-पाक की तिलावत की। अल्लाह का जिक्र किया। दरूदो सलाम का नजराना पेश किया। पूरा दिन हजरत इमाम हुसैन की कुर्बानियों को याद करते हुए बीता।
नौवीं मुहर्रम को हुआ रहमतनगर व तुर्कमानपुर में सामूहिक रोजा इफ्तार।
नौवीं मुहर्रम को गौसे आजम फाउंडेशन की ओर से सुन्नी बहादुरिया जामा मस्जिद रहमतनगर व मदरसा रजा-ए-मुस्तफा तुर्कमानपुर में सामूहिक रोजा इफ्तार का आयोजन हुआ। जिसमें अकीदतमंदों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। रहमतनगर रोजा इफ्तार में फाउंडेशन के जिलाध्यक्ष समीर अली, मौलाना अली अहमद, मो. फैज, मो. जैद कादरी, अमान अहमद, रियाज़ अहमद, मो. जैद, अली गजनफर शाह, मो. शारिक, अहसन खान, कमरुद्दीन खान, शोएब अख्तर व तुर्कमानपुर रोजा इफ्तार में शिफा नूर, सादिया नूर, सना फातिमा, फिज़ा खातून, शिफा खातून, अदीबा फातिमा, अब्दुस्समद, मुहम्मद शाद, मुहम्मद सफियान, रहमत अली, मुअज्जमा, मुबश्शिरा, अलीशा, शालिबा, सैयद शम्स आलम, मुहम्मद शहाबुद्दीन आदि शामिल हुए। रविवार दसवीं मुहर्रम को भी सुन्नी बहादुरिया जामा मस्जिद रहमतनगर में शाम 6:58 बजे सामूहिक रोजा इफ्तार होगा। आयोजक समीर अली ने सभी से बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने की अपील की है।
इमाम चौकों पर रखी गई ताजिया
नौवीं मुहर्रम को हजरत सैयदना इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत को याद करते हुए शाम के समय तमाम इमाम चौकों पर छोटे-बड़े ताजिया रख कर फातिहा पढ़ी गई। इमाम चौकों पर शर्बत व मलीदा पर भी फातिहा हुई। हजरत इमाम हुसैन और उनके साथियों के वसीले से दुआ व मन्नत मांगी गई। विभिन्न इमाम चौकों व घरों में मलीदा, शर्बत, खिचड़ा व बिरयानी बनाकर अकीदतमंदों में बांटा गया। अकीदतमंदों ने इमाम चौकों पर बड़े ताजिया के साथ छोटे ताजिया मन्नत के तौर पर रखे। कई क्षेत्रों में अकीदतमंद छोटी-छोटी ताजिया खरीदते दिखे। मियां बाजार स्थित इमामबाड़ा व जाफरा बाजार स्थित कर्बला में फातिहा ख्वानी के लिए अकीदतमंदों की भीड़ उमड़ी। जुलूसों का सिलसिला भी जारी रहा। देर रात तक लाइन की ताजिया का जुलूस निकलता रहा। देश विदेश की मस्जिदों व दरगाहों का अक्स ताजिया में नजर आया। एक से बढ़कर एक ताजिया सड़कों पर नजर आई। लाइन की ताजिया का केंद्र गोलघर रहा। लोग मोबाइल में ताजिया की फोटो व वीडियो कैद करते दिखे।
आज पूरी दुनिया इमाम हुसैन को याद कर रही है : नायब काजी
महफिल ‘जिक्रे शुहदाए कर्बला’ के तहत नौवीं मुहर्रम को गौसिया मस्जिद छोटे काजीपुर में मौलाना मुहम्मद अहमद ने कहा कि मुहर्रम बरकत व अजमत वाला महीना है। मुहर्रम की 10वीं तारीख जिसे आशूरा कहा जाता है वह बहुत ही फजीलत वाली है। इसी दिन इमाम हुसैन व उनके साथियों को शहीद किया गया। तारीख गवाह है कि आज तक दुनिया में हजारों जंगें हुईं। उन सारी जंगों को लोगों ने एकदम से भुला दिया मगर मैदाने कर्बला में हुई हक व बातिल की जंग रहती दुनिया तक याद रखी जाएगी।
मकतब इस्लामियात चिंगी शहीद इमाम चौक तुर्कमानपुर में नायब काजी मुफ्ती मुहम्मद अजहर शम्सी ने कहा कि अल्लाह की रजा के लिए अपने आपको और अपनी औलाद को कुर्बान करना और उस पर सब्र करना हजरत इमाम हुसैन और उनके हौसले की ही बात थी। हजरत इमाम हुसैन ने धर्म व सच्चाई की हिफाजत के लिए खुद व अपने परिवार को कुर्बान कर दिया, जो शुहदाए कर्बला की दास्तान में मौजूद है। हम सब को भी उनके बताए रास्ते पर चलने की जरूरत है। इमाम हुसैन का मकसद दुनिया को दिखाना था कि अगर इंसान सच्चाई की राह पर साबित कदम रहे और सहनशीलता का दामन न छोड़े तो उसे कामयाब होने से कोई नहीं रोक सकता है। आज इमाम हुसैन को पूरी दुनिया याद कर रही है।
युवा आलिम कारी मुहम्मद अनस रजवी ने कहा कि कर्बला की जंग मनसब नहीं इंसानियत की जंग थी। यही वजह है कि इमाम हुसैन ने उस जंग में अपने पूरे खानदान को कुर्बान तो कर दिया मगर जालिम यजीद जो बातिल और बुराई का प्रतीक था, उससे समझौता नहीं किया। दुनिया में कोई ऐसा इंसान नहीं है जो अपने बच्चे, जवान और बुजुर्ग सभी को अल्लाह की रजा की खातिर कुर्बान कर दे। साथ ही साथ हर हाल में अल्लाह का शुक्र अदा करता रहे। हमें प्रण लेना चाहिए कि हम अपनी पूरी जिंदगी इमामे हुसैन के नक्शे कदम पर चलकर गुजारेंगे, तभी हमें कामयाबी मिलेगी। इमाम हुसैन दीन-ए-इस्लाम को बचाने के लिए शहीद हुए। इमाम हुसैन ने कर्बला में शहादत देकर बता दिया कि जुल्म दीन-ए-इस्लाम का हिस्सा नहीं है।
रसूलपुर जामा मस्जिद में मौलाना जहांगीर अहमद ने कहा कि पैगंबरे इस्लाम हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने ‘खुतबा हज्जतुल विदा’ में फरमाया है कि ऐ लोगों मैंने तुममें वह चीज छोड़ी है कि जब तक तुम उनको थामें रहोगे, गुमराह न होगे। पहली चीज ‘अल्लाह की किताब’ और दूसरी ‘मेरे अहले बैत'। इमाम हुसैन की जंग हुकूमत हासिल करने के लिए नहीं बल्कि इंसानों को सही रास्ते पर लाने के लिए थी। इमाम हुसैन की अजमतों को लाखों सलाम जान तो कुर्बान कर दी लेकिन रूहे इस्लाम बचा ली।
मदीना जामा मस्जिद रेती में मुफ्ती मेराज अहमद ने कहा कि इमाम हुसैन व उनके जांनिसारों ने कर्बला की तपती रेत पर भूखे प्यासे रहकर अजीम कुर्बानियां पेश की। 10वीं मुहर्रम (आशूरा) के दिन रोजा रखना, सदका करना, नफ्ल नमाज पढ़ना, एक हजार मर्तबा सूरह इख्लास पढ़ना, यतीमों के सर पर हाथ रखना, घर वालों के लिए अच्छा खाना बनवाना, सुर्मा लगाना, गुस्ल करना, नाखून तराशना और मरीजों की बीमार पुर्सी करना, इमाम हुसैन व कर्बला के शहीदों के लिए फातिहा-नियाज करना अच्छा काम है। खिचड़ा और सबीले इमाम हुसैन वगैरा बांटने में सवाबे खैर है। दसवीं मुहर्रम को गुस्ल करें, क्योंकि उस रोज जमजम का पानी तमाम पानियों में पहुंचता है।
मुकीम शाह जामा बुलाकीपुर में मौलाना फिरोज निजामी ने कहा कि इमाम हुसैन के पुत्र इमाम जैनुल आबेदीन जो कर्बला के मैदान में बीमारी की हालत में मौजूद थे, उन्होंने कर्बला में तमाम शहादतों के बाद वहां से शाम तक के सफर में अपने खुतबों से इमाम हुसैन के मिशन को आगे बढ़ाया। अंत में दरूदो सलाम पढ़कर मुल्क में अमन व अमान की दुआ मांगी गई
इस्लामी बहनों की विशेष महफिल आज
रविवार दसवीं मुहर्रम (यौमे आशूरा) को मकतब इस्लामियात चिंगी शहीद इमाम चौक तुर्कमानपुर में सुबह 11 से दोपहर 12:30 बजे तक इस्लामी बहनों की विशेष महफिल होगी। जिसमें शुहदाए कर्बला, हजरत जैनब व इस्लाम की शहजादियों को शिद्दत से याद किया जाएगा। सामूहिक रूप से कुरआन-ए-पाक की तिलावत, खास दुआओं का विर्द, फातिहा ख्वानी व दुआ ख्वानी इस्लामी बहनों द्वारा की जाएगी। इमाम हुसैन, हजरत जैनब व अहले बैत की शहजादियों की शिक्षाओं पर रोशनी डाली जाएगी। यह जानकारी कारी मुहम्मद अनस रजवी ने दी है।