बेतिया नगर निगम के विकास राशि से बनने वाले नाला, सड़क ,पुल पुलिया के निर्माण कार्य की गुणवत्ता की जांच के पूर्व भुगता क्यों ?
शहाबुद्दीन अहमद
बेतिया, बिहार
बेतिया नगर निगम के वजूद में आने के बाद उसके विकास राशि से बनने वाला नाला, सड़क,पुल पुलिया,गली,एवं अन्य के निर्माण कार्य के लिए निर्गत वर्कआर्डर जो अभिकर्ता को दिया जाता है, निर्माण कार्य शुरू होने से लेकरअंत होने तक कोई भी जांच पदाधिकारी,निरीक्षण करने स्थल पर नहीं पहुंचते हैं, इतना ही नहीं,चल रहे कार्यों की गुणवत्ता की भी जांच नहीं होती है,न ही निर्माण कार्य में प्रयोग होने वाला सामग्री की क्वालिटी की जांच निर्माण
स्थल पर नहीं होती है,
इतना ही नहीं निर्माण कार्य में ढलाई के समय सामग्री के मिश्रण के अनुपात की जांच भी नहीं होती है,अभिकर्ता की मनमानी पर छोड़ दिया जाता है,क्योंकि उससे आर्थिक लाभ मिलता है।निर्माण स्थल पर विभागीय नियम का खुल्लम खुल्ला मजाक उड़ाया जाता है,क्योंकि निर्माण स्थल पर निर्माण होने वाले कार्य का एस्टीमेट की कॉपी भी नहीं लटकाई जाती है,जिससे हर आम वो खास,वार्डवासी, मोहल्लेवासी को जानकारी हो सके,इसकेअनुसार निर्माण हो मगर जानबूझकरअभिकर्ता व संबंधित नगर पार्षद एस्टीमेट की कॉपी निर्माण स्थल पर नहीं लटकाते हैं,क्योंकि चोरी की नियत रहती है,जो सरासर विभागीय नियम के प्रतिकूल है,इसकी जांच कोई भी जांच पदाधिकारी निर्माण स्थल पर जाकर नहीं करते हैं,जिसके कारणअभिकर्ता मनमानी तौर पर निर्माण कार्य करते रहते हैं,साथ ही निर्माण कार्य गुणवत्तापूर्ण नहीं होता है।
कमीशनखोरी के बदौलत अभिकर्ता के द्वारा निर्माण किए गए कार्य की एमबी बुक कर,उसका भुगतान भी कर दिया जाता है,क्योंकि इस बिंदु पर सभी मिले हुए रहते हैं, सबों की पॉकेट गर्म होती है।
निर्माण किए गए कार्य की गुणवत्ता की जांच भी नहीं होती है,जिससे समयअवधि केअंदर ही टूटने लगता है,इस पर कोई कार्रवाई नहीं होती है।
एस्टीमेट केअनुसार कभी भी नाला,सड़क,गली,पुलपुलिया का निर्माण नहीं होता है, एस्टीमेट में लंबाई,चौड़ाई, गहराई,ढलाई का थिकनेस सभी का विवरणअंकित रहता है,साथ ही किसके घर से किसके घर तक बनाना है, उसका भी विवरण एस्टीमेट में रहता है,मगर इस हिसाब से कोई काम नहीं होता है,नगर निगम पार्षद की मनमानी, अभिकर्ता की मनमानी,जांच पदाधिकारी की मनमानी, गुणवत्तापूर्ण निर्माण नहीं होने की दिशा में कोई विभागीय
कार्रवाई नहीं होना,गुणवत्ता के जांच के लिए जिला पदाधिकारी के द्वारा जांच नहीं होना,यह स्पष्ट दर्शाता है कि सभी के मिलीभगत इसमें शामिल रहती है।
भुगतान की प्रक्रिया होने के पूर्व इसकी विधिवत जांच महापौर या जिला पदाधिकारी या उनके स्तर से किसी विभागीय पदाधिकारी से होनी चाहिए,तभी निर्माण हुए कार्य की गुणवत्ता की वस्तुस्थिति वार्डवासी के साथआम जनता को पता चल सकेगा।