श्री महाकाल शिव मंदिर पर नौ दिवसीय श्री महापुराण कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन।
शिवलिंग को भगवान शिव का ही स्वरूप के तौर पर पूजा जाता है: रमेश दास महाराज
रिपोर्ट - धनंजय शर्मा
नगरा, बलिया। नगरा क्षेत्र के मलप हरसेनपुर स्थित श्री महाकाल शिव मंदिर पर आयोजित नौ दिवसीय श्री शिव महापुराण कथा ज्ञान यज्ञ में श्रद्धालुओं को शिव महिमा का रसपान करते हुए, कथावाचक रमेश दास जी महाराज ने कहा कि शिवलिंग को भगवान शिव का ही स्वरूप के तौर पर पूजा जाता है। शास्त्रों में शिवलिंग की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। उन्होंने कहा कि शिव पुराण में बताया गया है। कि शिवलिंग पर जल चढ़ाने से व्यक्ति को पूर्ण फलों की प्राप्ति हो सकती है। वही शिवलिंग की आराधना करने से साधक को शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है। मुख्य रूप से देश भर में 12 ज्योतिर्लिंग स्थापित हैं। शिव पुराण के अनुसार जहां भी ज्योतिर्लिंग स्थापित हैं। वहां भगवान शिव स्वयं एक ज्योति के रूप में उत्पन्न हुए थे। इस प्रकार ज्योतिर्लिंग भगवान शिव का स्वरूप है। जो स्वयंभू अर्थात स्वयं घटित होने वाला है। कथावाचक ने कहा कि शास्त्रों में शिवलिंग का अर्थ बताया गया हैअनंत, जिसकी न तो कोई शुरुआत हो, और ना ही कोई अंत। शिवलिंग भगवान शिव और माता पार्वती के आदि अनादि एकल रूप है। वही शिवलिंग का अर्थ होता है प्रतीक। इस प्रकार शिवलिंग को भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है। शिवलिंग, शिव जी के प्रतीक के रूप में मनुष्य द्वारा निर्मित किये जाते हैं और पूजा अर्चना के लिए मंदिरों में स्थापित किये जाते हैं।महाराज जी ने कहा कि कई शिवलिंग ऐसे भी हैं, जिन्हें स्वयंभू माना गया है। इस मौके पर देवेंद्र शर्मा, अनिल सिंह, अजय कुमार मिश्रा, जगसन सिंह, सुदर्शन सिंह, चंद्रहास उपाध्याय, रमेश मिश्रा, सहित काफी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।