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धार्मिक / Apr 01, 2024

आलमी सतह पर मसलक की पहचान कराने वाली शख्सियत का नाम रेहाने मिल्लत है- मुफ़्ती सलीम बरेलवी

बरेली, उत्तर प्रदेश।

   मरकज़-ए-अहले सुन्नत बरेली शरीफ में आला हज़रत फ़ाज़िले बरेलवी के पोते मुफ़्ती रेहान रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह (रहमानी मिया) का 39 वा एक रोज़ा उर्स दरगाह परिसर में मनाया गया। शाम को सामूहिक रोज़ा इफ़्तार होगा जिसमें दूर दराज़ के हज़ारों अक़ीदमंदो ने शिरक़त की। रोज़े से पहले सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन मियां ने मुल्क-ओ-मिल्लत की खुशहाली की ख़ुसूसी दुआ की। उर्स के सभी कार्यक्रम दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान(सुब्हानी मियां) की सरपरस्ती व सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन मियां की सदारत व सय्यद आसिफ मियां की देखरेख में सम्पन्न हुए। 

   मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि उर्स की शुरआत बाद नमाज़-ए-फ़ज़्र कुरानख्वानी से हुई। सुबह 8 बजे महफ़िल का आगाज़ मुफ्ती मोइनुद्दीन ने तिलावत-ए-क़ुरान से किया। नातख़्वा हाजी गुलाम सुब्हानी ने हम्द,नात व मनकबत का नज़राना पेश किया। इसके बाद *दरगाह सरपरस्त हज़रत सुब्हानी मियां की सरपरस्ती में उलेमा की तक़रीर का सिलसिला शुरू हुआ। मुफ़्ती सलीम नूरी बरेलवी ने अपने खिताब में रेहाने मिल्लत को खिराज़ पेश करते हुए कहा कि सुन्नियत व मसलक ए आला हज़रत की आलमी सतह(दुनिया भर) में पहचान कराने वाली शख्सियत का नाम रेहाने मिल्लत है। उस दौर में मुसलमानो को जब भी मज़हबी,रूहानी,खानकाही,सियासी ज़रूरत पेश आई आपने उनकी कयादत फरमाई। आज के दौर में भी मुसलमानो को रेहाने मिल्लत जैसे कायद की ज़रूरत है। उर्दू के साथ साथ अरबी व इंग्लिश जुबान के माहिर होने के सवब आपने एशिया के अलावा यूरोप,अफ्रीका,अमेरिका आदि के मुल्कों का दौरा कर मजहब व मसलक को फरोग देने के लिए काम किया। आप तलबा(छात्रों) को बुखारी शरीफ का दर्स(शिक्षा) अरबी से अरबी में देते थे। नातिया शायरी आपको आला हज़रत से विरासत में मिली। आपने इस्लाम-ओ-सुन्नियत के लिए बड़े-बड़े कारनामे अंजाम दिए। आपने मुल्क में आपसी सौहार्द को बढ़ावा देने ,नफ़रत,भेदभाव व अल्पसंख्यको के अधिकारों के लिए अपनी आवाज़ हमेशा बुलंद की।* सुबह 9.58 मिनट पर मुफ्ती जमील नूरी व मौलाना मुख्तार रज़वी ने फ़ातिहा पढ़ी। दुआ सदर मुफ्ती आकिल रज़वी ने की। दिन भर गुलपोशी व चादरपोशी का सिलसिला चलता रहा। 

   इस मौके पर मुफ्ती सय्यद शाकिर अली,मास्टर कमाल,राशिद अली खान,हाजी जावेद खान,नासिर कुरैशी,परवेज नूरी,शाहिद नूरी,अजमल नूरी,परवेज़ नूरी,ताहिर अल्वी,औररंगज़ेब नूरी,मंजूर रज़ा,हाजी अब्बास नूरी,मौलाना अबरार उल हक़,शान रज़ा,तारिक सईद,अनवार उल सादात,कासिम कश्मीरी,मुजाहिद रज़ा,शारिक बरकाती,अरबाज़ खान,सुहैल रज़ा,जोहिब रज़ा,अब्दुल माजिद,इशरत नूरी,मोहसिन रज़ा,गौहर खान,गयाज़ रज़ा,जुनैद मिर्जा,सय्यद माजिद,साकिब रज़ा,साजिद नूरी,नईम नूरी,युनुस गद्दी,इरशाद रज़ा,सय्यद एजाज,काशिफ सुब्हानी,नफीस खान,शाद रज़ा,आसिफ नूरी,सबलू अल्वी,आसिफ रज़ा,मुस्तकीम नूरी,समीर रज़ा,आदिल रज़ा,आरिफ नूरी,रोमान खान,आसिम रज़ा,जावेद खान आदि लोग मौजूद रहे। 

   शाम को सामूहिक रोज़ा इफ्तार हुआ जिसमें हजारों लोग ने हज़रत सुब्हानी मियां व हजरत अहसन मियां के साथ एक ही एक ही दस्तरखवान पर रोज़ा इफ्तार किया। 

Jr. Seraj Ahmad Quraishi
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