अल्लामा शकूर की याद में जलसा।
अल्लामा शकूर मदरसा अशरफिया की जान थे - मुफ्ती मुमताज़
हफ़ीज अहमद खान
कानपुर नगर, उत्तर प्रदेश।
अलजामिअतुल अशरफिया मुबारकपुर आज़म गढ़ के सरबराहे आला अल्लामा अब्दुल हफीज़ अज़ीज़ी की अहलिया और इसी इदारे के साबिक़ शैख़ुल हदीस अल्लामा अब्दुल शकूर मिस्बाही के इंतिक़ाल पर मदरसा हनफिया ज़ियाउल क़ुरआन शाही मस्जिद बड़ा चाँद गंज में ताज़ीयती नशिस्त हुई
जिसकी सदारत इदारे प्रिंसिपल हज़रत क़ारी ज़ाकिर अली क़ादरी ने की
महफिल का आग़ाज़ क़री हुस्साम रज़ा ने तिलावते क़ुरआने पाक से किया
मुफ्तिये शहर कानपुर मुफ्ती मुम्ताज़ आलम मिस्बही ने इस ताज़ियती नशिस्त को ख़िताब करते हुए कहा कि नमूनए अस्लाफ, उस्ताज़ुल उलमा हज़रत अल्लामा अब्दुल शकूर मिस्बाही उन शख़्सियात में से हैं जिन पर ख़ुद इल्म नाज़ करता है यक़ीनन आप उलूम में हुज़ूर हाफिज़े मिल्लत के हक़ीक़ी जानशीन और फख़्रे अशरफिया थे
मौलाना इरफान क़ादरी ने अपने ग़म का इज़हार करते हुए कहा कि अल्लामा अब्दुल शकूर मिस्बाही और अल्लामा अब्दुल हफीज़ साहब की अहलिया के इंतिक़ाल जमाअते अहले सुन्नत के लिये एक अज़ीम सानिहा है मदरसा हनफिया ज़ियाउल क़ुरआन के जुम्ला असातिज़ा, तलबा व ख़ैर ख़्वाहान भी इस ग़म में बराबर के शरीक रहे!महफिल से पहले मदरसा के तलबा व असातिज़ा ने क़ुरआन ख़्वानी का एहतिमाम किया और महफिल सलात व सलाम और क़ुल शरीफ के बाद सदरे महफिल क़ारी ज़ाकिर अली क़ादरी ने अल्लामा अब्दुल शकूर मिस्बाही और अल्लामा अब्दुल हफीज़ अज़ीज़ी की अहलिया मोहतरमा की बख़्शिश और बुलंदिये दरजात की दुआ की क़ारी नूर मोहम्मद अशरफी, क़ारी अय्यूब अशरफी, क़ारी ज़फीर रज़वी, मौलाना फहीम मिस्बाही, मौलाना अब्दुल क़य्यूम मिस्बाही, मौलाना अज़ीम अज़हरी, क़ारी तबरेज़ आलम क़ादरी, क़ारी मोहम्मद अहमद ज़ियाई, मास्टर मज़हर हुसैन, क़ारी जाफर अली ज़ियाई के अलावा दीगर असातिज़ा व तलबा इस ताज़ियती नशिस्त में बतौरे ख़ास मौजूद रहे!