Tranding
Wed, 18 Jun 2025 12:01 PM

जीएमसीएच बेतिया की दुर्दशा से रोगी और उसके परिजन कष्ट झेलने पर हैं मजबूर।

शहाबुद्दीन अहमद

बेतिया, बिहार।

स्थानीय नगर थाना क्षेत्र में अवस्थित,बेतिया सरकारी मेडिकल कॉलेजअस्पताल इन दिनों रोगी और उसके परिजनों के लिए कष्टदायक बन गया है, रोगी के परिजन अपने रोगी को इलाज कराने हेतु एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने में गोद में उठाकर ले जाना पड़ रहा है,जिससे रोगी का जान सांसत में रह रहा है। अस्पताल में रोगी को गोद में उठाकर ले जाते हुए एक परिजन का फोटो इस बात की सच्चाई बयां कर रही है कि बेतिया सरकारी मेडिकल कॉलेज का निर्माण लगभग 5 वर्षों से चल रहा है,मगर अभी तक बन कर तैयार नहीं हो सका है,इतना ही नहीं,कछुए के चाल से बन रहा यह सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल का भवन निर्माण रोगियों के लिए जी का जंजाल बन गया है। रोगियों की परेशानी इतनी बढ़ गई है कि सड़क निर्माण के कारण सीटी स्कैन,एक्स-रे तथा पोस्टमार्टम के लिएआने जाने वाले लोगों की परेशानियां हद से ज्यादा बढ़ गई है,जब सिटीस्कैन के बाद मरीज के परिजन उसे लेकर ऊबड़ खाबड रास्ते के सहारे स्ट्रेचर को धक्का मार कर ला रहे थे,तभी रास्ते में स्ट्रेचर भी नहीं जा सका, संवाददाता ने जब वह अस्पताल प्रशासन से बात की तो अस्पताल सूत्रों का कहना है कि निर्माण कर रही कंपनी ने एक तो बरसात के दिनों में परिसर के भीतर की सड़क और ड्रेनेज बनाने का काम शुरू किया है,तो वहीं दूसरी तरफ कार्य की गति भी काफी धीमी है,जिसके कारण रोगियों और उसके परिजनों को रोगियों को ले जाने के लिए काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। बेतिया सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल का भवन निर्माण का कार्य पता नहीं किस ठेकेदार याअभिकर्ता को दिया गया है कि इतने दिनों के बाद भी अभी तक काम पूर्ण नहीं हो सका है।बिहार के स्वास्थ्य विभाग,संबंधित पदाधिकारी, स्थानीयअस्पताल,जिला प्रशासन को वह शायद नजर नहीं आ रही है कि इस सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के भवन निर्माण का काम क्यों कछुए के चाल से चल रही है,इसके पीछे कौन सा राज् छुपा हुआ है,जिस कंस्ट्रक्शन कंपनी के ठेकेदार याअभिकर्ता को इस भवन निर्माण का कार्य दिया गया है,उसकीअवधि समाप्त होने के बाद भी अभी तक पूर्ण नहीं हो सका है,जो जांच का विषय बनता है।

Jr. Seraj Ahmad Quraishi
47

Leave a comment

logo

Follow Us:

Flickr Photos

© Copyright All rights reserved by Bebaak Sahafi 2025. SiteMap