जश्न-ए-ईद मिलादुन्नबी के 1500 साल मुकम्मल होने पर दरगाह का अहम पैग़ाम।
सेमिनार आयोजित कर गैर मुस्लिमों तक पहुंचाए पैग़म्बर ए इस्लाम की तालीमात - अहसन मियां
शरई दायरे में रहकर आपस में दूरियां घटाने के करे काम।
बरेली, उत्तर प्रदेश।
मरकज़-ए-अहले सुन्नत दरगाह आला हज़रत के सज्जादानशीन व टीटीएस के आलमी सदर बदरूशरिया मुफ्ती अहसन रज़ा क़ादरी(अहसन मियां) ने कहा कि बारह रवी-उल-अव्वल(5 सितंबर 2025) को अल्लाह के आखिरी नबी को इस दुनिया में तशरीफ़ लाए 1500 साल मुकम्मल हो जायेंगे। इस बार का जश्न-ए-ईद मिलादुन्नबी हम सभी के लिए बेहद खास है। लिहाज़ा इस खुशी में मुसलमानों वो काम करना है जिससे पैग़ंबर-ए-इस्लाम की ज़िन्दगी का हर पहलू,शिक्षा व मज़हब-ए-इस्लाम का पैग़ाम भी आम हो और समाज की खिदमत भी हो सके। मुसलमान अपने नबी की तालीमात और नसीहतों पर अमल कर ले तो मुल्क में आपसी भाईचारा व मोहब्बत में इजाफा होगा और हमारे नबी की शिक्षा व इस्लाम का पैग़ाम भी नई नस्ल व आम लोगों तक आसानी के साथ पहुंच जाएगा। शरई दायरे में रहकर हर वो काम करे जिससे दिलों में नफरतें कम हो आपस में दूरियां घटाने का काम करे। जश्न की तैयारियां आज ही शुरू कर दे क्योंकि हमारे नबी ने हमेशा इंसानियत का पैगाम दिया। इंसान(मानव) ही नहीं बल्कि पशु पक्षियों के हक में भी आवाज़ बुलंद की।
दरगाह से जुड़े नासिर कुरैशी ने बताया कि आज दरगाह मुख्यालय पर सज्जादानशीन बदरूशरिया मुफ्ती अहसन मियां ने देश भर के मुसलमानों के नाम पैगाम जारी करते हुए कहा कि ईद मिलादुन्नबी हमारे नबी की पैदाइश का दिन है। ये ईंदों की ईद है। जिसे पूरी दुनिया के मुसलमान 'वर्ल्ड पीस डे (विश्व शांति दिवस)' के रूप में मनाए। जश्न-ए-ईद मिलादुन्नबी के मौके पर देशवासियों में फूल और मिठाईयां बांट कर उन्हें पैगंबर-ए-इस्लाम की सीरत व पैग़ाम से रू-ब-रू करवाएं। हर मुसलमान अपने घर पर झंडा लगाने के साथ ही घर की बालकनी या दरवाजे के पास तमाम देशवासियों को ईद मिलादुन्नबी की मुबारकबाद पेश करते हुए हमारे नबी व सहाबा किराम की सीरत पर एक हदीस या किसी दीनी पैगाम का बैनर या पोस्टर जरूर लगाएं।
*पैग़ंबर-ए-इस्लाम की सीरत नई नस्ल तक पहुंचाने के लिए निबंध लेखन व सवाल-जवाब प्रतियोगिता अल्पसंख्यक संस्थानों और मदरसों में आयोजित की जाए। खास कर आपकी जिंदगी और तालीमात पर सेमिनार आयोजित किए जाए जिसमें समाज के हर तबके व धर्म के लोगों को बुलाया जाए।* पैग़ंबर-ए-इस्लाम की याद में पौधारोपण कर पर्यावरण को हरा भरा करें। अपने शहर,गली व मोहल्ले को साफ रखें। समाज के हर तबके के लिए बस्ती बस्ती नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविर लगवाए जाए। अस्पतालों में जाकर बीमारों में फल-दूध वगैरह तकसीम करें। गरीबों व यतीमों के बीच जाकर वक्त गुजारें, गरीबों और यतीमों को खाना खिलाएं। उनके यहां राशन पहुंचाएं। पड़ोसियों का ख्याल रखें। घरों व मस्जिदों को फूल,झंडे व लाइटों से सजाएं। मस्जिदों के बाहर भी इस्लामी पैगाम वाले पोस्टर लगाएं। शरीअत के दायरे में रहकर ईद मिलादुन्नबी की खुशियां मनाएं। मुफ्ती अहसन मियां ने आगे कहा कि बरेली में इस मौके पर दो जुलूस निकाले जाते है। एक ईद मिलादुन्नबी की पूर्व संध्या पर पुराना शहर से तो दूसरा ईद मिलादुन्नबी के दिन कोहाडापीर से। प्रशासन की गाइडलाइन के मुताबिक पुरअमन तरीके से तयशुदा रास्तों से जुलूस-ए-मुहम्मदी निकालें। पैग़ंबर-ए-आज़म की सीरत व शिक्षाओं पर आधारित कोई किताब,फूल और मिठाईयों के साथ मुबारकबाद पेश करें। जुलूस में भी इस्लामी पैगाम वाले पोस्टर शामिल करे। जुलूस के रास्ते में कोई अस्पताल हो तो खामोशी से दरूदो सलाम पढ़ते हुए निकल जाएं। आवाज बिल्कुल न करें। जुलूस के रास्ते में कोई एम्बुलेंस आ जाए तो उसे रास्ता दें।