मोहर्रम के दसवीं पर शेखपुर में शांतिपूर्ण ढंग से निकली चांदी की ताजिया
धनंजय शर्मा
सिकंदरपुर,बलिया। सिकंदरपुर तहसील क्षेत्र के शेखपुर (काजीपुर) में रविवार को मोहर्रम का पर्व शांतिपूर्ण एवं सौहार्दपूर्ण माहौल में बड़े धूम धाम से मनाया गया। शेखपुर सहित आस पास के ग्रामों में भी रविवार को मोहर्रम का त्यौहार अकीदत के साथ संपन्न हुआ। परम्परा के अनुसार आस-पास ,काजीपुर,निपनिया, जिंदापुर मुस्तफाबाद,की ताजिया पारंपरिक मार्ग से सबसे पहले शेखपुर कर्बला मैदान पहुंचे। उसके बाद शेखपुर की ताजिया चौक से शाम 5 बजे उठकर आदमपुर तजिए से जाकर मिलान की, वहां युवाओं ने कलाबाजियों से अपना करतब दिखाया।एवं इमाम हुसैन को श्रद्धांजलि दी।पूरे आयोजन में पारंपरिक परिधान और धुन के साथ शांतिपूर्ण माहौल रहा।तत्पश्चात शेखपुर की ताजिया और आदमपुर की ताजिया एक साथ चलकर शेखपुर कर्बला पहुंचे।मान्यता है कि जब तक शेखपुर की ताजिया आदमपुर नहीं जाएगी, तब तक आदमपुर की ताजिया शेखपुर कर्बला के लिए नहीं उठेगी। शेखपुर के तजिए का इतिहास है कि लगभग 100 वर्षों से शेखपुर के सैयद नबाब साहब के परिवार के द्वारा ही चांदी की ताजिया उठाई जाती है। आदमपुर की ताजिया आने के बाद सबसे पहले शेखपुर की ताजिया कर्बला में दफन की गई। उसके बाद आदमपुर, निपानिया, काजीपुर, मुस्तफाबाद, जिंदापुर, के सभी ताजियों को देर रात शेखपुर कर्बला में दफन कर दिया गया। बिना प्रशासन शांतिपूर्वक यह कार्य सकुशल सम्पन्न हुआ। शेखपुर के मोहर्रम पर्व में गंगा-जमुनी तहजीब का मिशाल भी देखने को मिला। इस पर्व में हिंदू भाई भी श्रद्धा पूर्वक समर्पित होकर बड़े ही हर्षौल्लास के साथ मुस्लिम समुदाय के साथ शामिल होकर मोहर्रम पर्व को शांतिपूर्ण सम्पन्न कराने में शारीरिक योगदान देकर आपसी भाई चारे एवं मानवता का परिचय देते हुए इस पाक पर्व को सम्पन्न कराया। शेखपुर के सैयद अली इमरान रिजवी ने चांदी की तजिए को सिर पर रख कर चलते दिखे। इमाम हुसैन की ताजिया के नीचे क्षेत्रीय हिंदू भाई की औरतों को बतासे और लोटे से जल डालते हुए भी देखा गया। मालूम हो कि शेखपुर में सबसे प्रसिद्ध मकदुम साहब का मजार है। वही बगल में ऐतिहासिक कर्बला है। वही पर तजिए का कार्यक्रम सम्पन्न होता है।ज्ञात है कि मकदुम साहब के मजार पर दूर दराज से आकर सभी समुदाय के लोग आस्था के साथ इबादत करते हैं। मन्नत मांगते है। मन्नत पूरी होने पर मकदुम साहब को मलिदा तथा खुरमे का प्रसाद चढ़ाते है। इस पर्व में बच्चालाल शर्मा, श्रीभगवान शर्मा, तारकेश्वर पांडे, गिरधारी, लल्लन शर्मा,अवधेश शर्मा,अनीस, हामिद रजा, सैयद अली इमरान, सारिक अली रिजवी, महातम,शर्मा ,धनेश्वर प्रसाद, लल्लन चौहान, सरकार बहादुर ,हामिद अंसारी, हदीक़ अंसारी, हृदय नारायण सिंह के साथ सैकड़ों की संख्या में ग्राम वासी शामिल रहे। लोगों ने बताया कि प्रशासन के न रहने पर भी शेखपुर में मोहर्रम का त्यौहार शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न हुआ।
बताते चलें कि इस्लाम धर्म के पैगम्बर मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद में यह पर्व मनाया जाता है। इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना मोहर्रम का होता है यह महीना बहुत ही श्रद्धापूर्वक मनाई जाती है। बहुत सारे मानने वाले इस महीने को गम का महीना कहते हैं। अपनी-अपनी मान्यता के अनुसार लोग इस महीने में इबादत की और ज्यादा झुके रहते हैं, इस महीने ये 10 दिन बहुत ही पाक माना जाता है। नवमी और दसवीं मोहर्रम को लोग नेयाज एवं फतेहा करते हैं, रोजा रखते हैं, इबादत करते हैं और 10वीं मोहरम को लोग योमें आशुरा के नाम से जाने जाते हैं।
इस दिन शिया समाज के लोग नौहा, मर्सिया,मजलिस पढ़ते एवं मातम, करते हैं, सीना पीटते हैं, जुलूस निकालते हैं। सुन्नी समुदाय के लोग ऐसा तो नहीं करते।लेकिन इमाम हुसैन से मुहब्बत करते है।
यह पर्व त्याग,बलिदान,मानवता,सद्भाव का पर्व माना जाता है।