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Wed, 18 Jun 2025 05:50 AM

वास्तविक युद्ध: वक्फ बिल या चीन की बढ़ती घुसपैठ?

लेखक: मोहम्मद रियाज आलम

सीनियर कॉरपोरेट प्रोफेशनल और कम्युनिटी लीडर reyaz_alam@yahoo.com

भारत की जनता को तय करना होगा कि असली मुद्दा क्या है— चीन का अवैध कब्जा या वक्फ संपत्तियों की राजनीति?

जब चीन ने 1,28,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय भूमि पर कब्जा कर लिया है— 90,000 वर्ग किलोमीटर अरुणाचल प्रदेश में और 38,000 वर्ग किलोमीटर लद्दाख में— तो क्या संसद में इसे वापस लेने पर कोई गंभीर चर्चा हो रही है? क्या कोई प्रस्ताव पारित किया गया है कि हमारी जमीन वापस ली जाएगी? या फिर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ने चुप्पी साध रखी है?

शक्तिशाली के आगे झुकना, कमजोर पर गरजना नेताओं के दो प्रकार होते हैं। एक, जो अपनी कौम की रक्षा करते हैं, कमजोरों का साथ देते हैं और शक्तिशाली के सामने डटकर खड़े रहते हैं। दूसरे, जो ताकतवर के सामने घुटने टेक देते हैं लेकिन कमजोरों पर शेर बनने का दिखावा करते हैं।

दुर्भाग्यवश, आज भारतीय राजनीति पर दूसरी तरह के नेता हावी हो चुके हैं— जो चीन के सामने खामोश हैं, लेकिन अपने ही देश के कमजोर तबकों को निशाना बनाने में सबसे आगे रहते हैं।

“क्या असली समस्या वक्फ की जमीन है, न कि हमारी कब्जा की गई भूमि?”

वक्फ संपत्तियां अवैध कब्जे की जमीन नहीं हैं, बल्कि यह लोगों द्वारा स्वेच्छा से समुदाय की भलाई के लिए दी गईं अमानतें हैं। वक्फ बोर्ड के पास केवल 9.4 लाख एकड़ जमीन है, लेकिन सरकार इस पर कब्जा करने में ज्यादा रुचि रखती है, बजाय इसके कि वह चीन द्वारा कब्जाई गई 1,28,000 वर्ग किलोमीटर जमीन को वापस लेने के लिए कोई ठोस कदम उठाए।

ऐसा लगता है कि सरकार की “बहादुरी” सिर्फ कमजोरों और अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने तक सीमित है। वहीं, संसद राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करने के बजाय, राजनीतिक ड्रामे का मंच बन चुकी है।

“क्या सरकार में PoK पर प्रस्ताव पारित करने की हिम्मत है?”

जब सरकार अपने ही नियंत्रण में मौजूद जमीन की स्थिति बदलती है, तो इसे “साहसिक कदम” कहा जाता है। लेकिन यही सरकार पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) को वापस लेने के लिए प्रस्ताव क्यों नहीं पारित करती? चीन को अल्टीमेटम क्यों नहीं दिया जाता कि वह हमारी जमीन लौटाए?

“बीजिंग दूर है, चलो गरीबों को ही दबाएं”

अगर संसद वास्तव में देश के हितों की परवाह करती, तो सबसे बड़ी बहस अपनी खोई हुई जमीन को वापस पाने पर होती। लेकिन आज, भारतीय लोकतंत्र का उपयोग कमजोरों को कुचलने के लिए किया जा रहा है, जबकि असली दुश्मनों को खुली छूट दी जा रही है।

देश जवाब मांगता है— और अब, जवाब देना ही होगा!

Karunakar Ram Tripathi
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