मुकद्दस रमजान में दुआएं ज्यादा कबूल होती हैं - शाबान अहमद
सैय्यद फरहान अहमद
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
नूरी मस्जिद तुर्कमानपुर के सेक्रेटरी शाबान अहमद ने बताया कि पैगंबरे इस्लाम हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि दुआ बंदे की तीन बातों से खाली नहीं होती। पहला उसका गुनाह बख्शा जाता है। दूसरा उसे फायदा हासिल होता है। तीसरा उसके लिए आखिरत में भलाई जमा की जाती है। मुकद्दस रमजान में तो दुआएं ज्यादा कुबूल होती हैं इसलिए मुकद्दस रमजान में दुआएं जरूर मांगी जाए। इफ्तार के समय की दुआ खाली नहीं जाती। रोजेदार के लिए तो फरिश्ते व दरिया की मछलियां तक दुआ करती हैं। दुआ मांगने का पहला फायदा यह है कि अल्लाह के हुक्म की पैरवी होती है कि उसका हुक्म है कि मुझसे दुआ मांगा करो। दुआ मांगना सुन्नत भी है।
रोजे की हालत में उल्टी आने से रोजा नहीं टूटेगा : उलमा
रमज़ान हेल्पलाइन नंबर 9454674201 पर सवाल-जवाब का सिलसिला जारी रहा। लोगों ने नमाज, रोजा, जकात, फित्रा आदि के बारे में सवाल किए। उलमा ने कुरआन व हदीस की रोशनी में जवाब दिया।
1. सवाल : क्या रोजे की हालत में उल्टी आने से रोजा टूट जाता है?
जवाब : नहीं, रोज़े की हालत में खुद ब खुद उल्टी आने से रोजा नहीं टूटता, अगर्चे मुंह भर हो या उससे भी ज्यादा।
2. सवाल : खरीदी हुई जमीन पर जकात है या नहीं?
जवाब : अगर रिहाइशी मकान के लिए खरीदा है तो उस पर जकात नहीं। अगर तिजारत (बिजनेस) की नियत से खरीदा है तो उस पर जकात फर्ज़ है।