रमजान सब्र का महीना और सब्र का बदला जन्नत है - मौलाना महमूद रज़ा कादरी
सैय्यद फरहान अहमद
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर के इमाम मौलाना महमूद रजा कादरी ने कहा कि जिस्म और रूह से मिलकर इंसान बना है। यूं तो साल भर इंसान खाना-पीना और जिस्मानी व दुनियावी जरूरतों का ख्याल रखता है, लेकिन मिट्टी के बने इंसान में असल चीज तो उसकी रूह होती है अल्लाह ने रूह की तरबियत और पाकीजगी के लिए माह-ए-रमजान बनाया है। आज हम एक ऐसे दौर से गुजर रहें हैं जहां इंसानियत दम तोड़ती नज़र आ रही है और खुदगर्जी हावी हो रही है। ऐसे में माह-ए-रमजान का महीना इंसान को अपने आप के अंदर झांकने और खुद की खामियों को दूर कर नेक राह पर चलने का मौका देता है। अल्लाह भी इबादत गुजार रोजेदार बंदे को बदले में रहमतों और बरकतों से नवाजता है। यह महीना सब्र का है और सब्र का बदला जन्नत है।