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धार्मिक / Feb 11, 2025

दारुल उलूम अहले सुन्नत जबलपुर का 52वां दस्तारबंदी (दीक्षांत समारोह) जलसा 13 फरवरी को मुनअकिद होगा।

जबलपुर, मध्यप्रदेश। 

इल्म और रूहानियत के मरकज़, दारुल उलूम अहले सुन्नत जबलपुर का 52वां सालाना दस्तारबंदी जलसा इस साल भी अपनी पुरानी रिवायत को बरकरार रखते हुए शानदार और पुरवकार तरीके से मुनअकिद होने जा रहा है।

यह मुबारक तक़रीब 13 फरवरी 2025, जुमेरात को मंडी मदार टेकरी मैदान, जबलपुर में नज़्म व ज़ब्त के साथ अंजाम दी जाएगी। इस पुरनूर महफ़िल में बफैजे रुहानी हजरत सैयद तनवीर अशरफ अशरफी अल जीलानी र.अ., हजरत सूफ़ी सैयद गुल अख़्तर अशरफ अशरफी अल जीलानी र.अ.का फ़ैज़ हासिल होगा, और इस जलसे की सरपरस्ती 

जानशींने मोहद्दिसे आज़म-ए-हिंद व अमीरे मिल्लत वा जानशींने सूफ़ी-ए-हिंद हजरत सैयद हसन असकरी अशरफ अशरफी अल जीलानी इब्ने अरबी अशरफ साहब फरमा रहे हैं।

जलसे की अहमियत और दस्तारबंदी की रिवायत

दारुल उलूम अहले सुन्नत जबलपुर का यह सालाना जलसा सिर्फ एक तकरीब नहीं, बल्कि दीनी और इल्मी तरबियत का एक अहम मरहला होता है। इस जलसे में तालिब-ए-इल्म अपनी तालीम मुकम्मल करने के बाद दस्तार-ए-फज़ीलत से नवाजे जाते हैं। यह एक आलमी रिवायत है कि जब किसी तालिब-ए-इल्म को इल्म-ए-दीन की मुकम्मल तालीम हासिल होने के बाद दस्तारबंदी की रस्म अदा की जाती है, जो इस बात की अलामत होती है कि अब वह इस्लामी इल्म का अलमबरदार बन चुका है और दीन की ख़िदमत का अहद करता है।

जलसे में मेहमाने खुशुसी जानशींने बाबा ऐ मिल्लत सूफ़ी फारूक लकड़वाला साहब(मुम्बई)शिरकत करेंगे 

इस पुरनूर जलसे में मुल्क के मशहूर उलेमा-ए-अहले सुन्नत, मशाइख-ए-किराम, दीन-दुनीया के रहनुमा और ख़ुसूसी मेहमान मुफ्ति मो.मुईनुद्दीन अशरफी साहब (रामपूर), हाफिज पीर नवाज साहब (पूना) हजरत मौलाना सैयद अबरार बापू साहब (आनंद गुजरात) से तशरीफ ला रहे हैं। अकीदतमंदों और दीनी तालिब-ए-इल्मों से गुज़ारिश की जाती है कि वह ज्यादा से ज्यादा तादाद में शिरकत फरमाएं और इस बबरकत महफ़िल की रोशनी से अपनी ज़िंदगी को मुनव्वर करें।

इखलास और बरकत से लबरेज़ जलसा। 

हर साल की तरह इस साल भी यह जलसा न सिर्फ इल्मी और रूहानी बरकतों का ज़रिया बनेगा, बल्कि दीनी मोहब्बत और उलेमा-ए-किराम की नसीहतों से भी दिलों को रोशन करेगा। जलसे के दौरान नात-ओ-मनकबत की पुरकैफ महफ़िल भी सजेगी, जिसमें मुल्क के मशहूर नातख्वान सैयद नौशाद अशरफी साहब (गाडरवारा) और मो.शाहिर साहब (लहसुई कोतमा)अपने अंदाज में अकीदत के फूल बिखेरेंगे।

नसीहत और इबरत से भरी यह तकरीब एक बार फिर इमान और इस्लाह की राह को रोशन करेगी।

मुतवल्ली मो.तौहीद अशरफी और कमेटी ने तमाम अकीदतमंदों से दरख्वास्त कि है इस जलसे में शिरकत करके दीनी बरकतों से मालामाल हों।

Jr. Seraj Ahmad Quraishi
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