फिराक गोरखपुरी के हमसर थे, एम कोठियावी राही - महबूब सईद हारिस
सेराज अहमद कुरैशी
गोरखपुर, उत्तरप्रदेश।
मारूफ अफसाना निगार , शायर और सहाफी एम कोठियावी रही की 10
19वीं बरसी के अवसर पर एक विशेष गोष्ठी का आयोजन किया गया।
साहित्यिक एवं सामाजिक संस्था साजिद अली मेमोरियल कमेटी के तत्वावधान में आयोजित
महानगर के मोहल्ला घसीकटरा में स्थित हामिद अली हाल में गोष्ठी आयोजित की गई।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुऐ डॉ० मोहम्मद अशरफ ने कहा कि एम कोठियावी राही मुकम्मल अदीब थे।
साजिद अली मेमोरियल कमेटी के सचिव महबूब सईद हारिस ने बताया कि एम कोठियावी राही
फिराक गोरखपुरी के हमसर थे। उन्होंने अपने बाद अदब का जो खज़ाना छोड़ा है उसे नई नस्ल तक पहुंचना चाहिए।
मोहम्मद फर्रुख जमाल ने राही को याद करते हुए कहा कि " आया हमारे देस में इक खुश नवा फ़कीर... आया और अपनी धुन में ग़ज़ल ख्वा चला गया। उन्होंने बताया कि राही जैसी शख्सियतें रोज़ रोज़ पैदा नहीं हुआ करती।
मोहम्मद अनवर ज़िया ने कहा कि एम कोठियावी राही की नज़्मों का कोई जवाब नहीं।
नई नस्ल के अफसाना निगार आसिफ सईद ने कहा कि राही साहब दबिस्तान ए गोरखपुर के इमाम थे। उनका दफ्तर ए
इश्तेराक अदबी लोगों का मरकज था।
ज़मीर अहमद पयाम ने बताया कि राही के अफसानों में एक नए जहां का पता मिलता है। राही के अफसाने तिलस्माती थे।
इस अवसर पर काज़ी तवस्सुल हुसैन,नदीम अब्बासी, डॉ० तरन्नुम हसन, डॉ० रुश्दा कुदसिया,अब्दुल बाक़ी ख़ान और फरहान काजमी समेत काफी लोग मौजूद थे।