बाल विवाह उन्मूलन, घरेलू हिंसा की रोकथाम के लिए सामाजिक जागरूकता जरूरी।
शहाबुद्दीन अहमद
बेतिया, बिहार।
बाल विवाह उन्मूलन एवं घरेलू हिंसा की रोकथाम के लिए एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में,बचपन बचाओ आंदोलन के राज्य संयोजक, बिहार के जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता, मुख्तार उल हक ने शिरकत की। इस अवसर पर डा एजाजअहमद अधिवक्ता,वरिष्ठ पत्रकार सह संस्थापक,मदर ताहिरा चैरिटेबल ट्रस्ट,डॉअमानुल हक डॉ नीरज गुप्ता ने संयुक्त रूप से कहा कि बाल विवाह उन्मूलन एवं घरेलू हिंसा की रोकथाम के लिए सामाजिक जागरूकता अति आवश्यक है, जिससे समाज में बाल विवाह एवं घरेलू हिंसा से परिवार एवं समाज पर पढ़ने वाले दुष्ट प्रभावों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत में 2006 में बाल विवाह निषेध अधिनियम लागू किया गया,जिसमें लड़कों के लिये विवाह की कानूनी उम्र 21 वर्ष एवं बालिकाओं के लिये 18 वर्ष निर्धारित की गई।
बाल विवाह निषेध अधिनियम की धारा 16 राज्य सरकारों CMPO बाल विवाह को रोकने,अभियोजन के लिये साक्ष्य एकत्र करने,ऐसे विवाहों को बढ़ावा देने या सहायता के खिलाफ परामर्श देने,उनके हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और समुदायों को संवेदनशील बनाने के लिये ज़िम्मेदार है।
सरकार ने बालिकाओं की शादी की उम्र को पुरुषों के बराबर करने के लिये इसे 21 साल करने के लिये 'बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक, 2021' नाम से एक विधेयक पेश किया है।