इतिहास के पन्नों से आज भी गायब है 1857 के शहीद निषाद सेनानियों के नाम।
याद किए गए सेनानी श्रद्धांजलि देने पहुंचे विशंभर नाथ निषाद
हफ़ीज अहमद खान
कानपुर नगर, उत्तर प्रदेश।
प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 में 27 जून को सतीचौरा घाट पर अंग्रेजों को गंगा नदी में डूबा कर मार डालने वाले सेनानियों के नाम इतिहास के पन्नों से आज भी गायब है इस संदर्भ में राजपाल से लेकर सरकारों तक सेनानियों के नाम दर्ज किए जाने की मांग अनेक बार की जा चुकी किंतु कोई ध्यान नहीं दिया गया आर शहीद समिति सतीचौरा छावनी ने शहीद स्थल पर श्रद्धांजलि अर्पित की जिसमें मुख्य रूप से पूर्व सांसद विशंभर निषाद उपस्थित हुए! अध्यक्ष महाबीर प्रसाद निषाद ने बताया कि
निषाद समाज शहीद स्मारक स्थल में सती चौरा घाट / नानाराव घाट कानपुर शहीदों के मुखिया समाधाननिषाद व लोचन निषाद बुद्ध चौधरी तथा टोपे आदि कान्तिकारियों ने देश को आजाद कराने के लिए संघर्ष किया एवं बलिदान दिया बाद में इन कान्तिकारियों में मुकदमा चलाकर 31 नई 1860 को अंग्रेजों द्वारा पीपल बरगद के पेड पर लटका कर कच्ची फांसी दी गई। उनके क्रांतिकारियों योगदान एवं याद में शौर्य दिवस के रूप में कार्यक्रम आयोजित किया गया।कार्यक्रम में प्रमुख रूप से मान्नीय विसम्भर निषाद पूर्व सांसद मंत्री प्र0 सरकार एवं पूर्व विधायक विर मुनीन्द्र शुक्ला उपस्थित रहे एवं अध्यक्ष महावीर प्रसाद निषाद महामंत्री दिनेश निषाद, योगेश वर्मा पूर्व पार्षद देवी प्रसाद निषाद उपाध्यक्ष रामवंश निषाद, कुन्ति निषाद पार्षद व रामविलाश निषाद, सुरेन्द्र निषाद देशराज निषाद, चन्दन निषाद सहित अन्य लोगों ने भी धासुमन अर्पित कर कार्यक्रम मैं उपस्थित रहे!