मुस्लिम समुदाय के वार्षिक कैलेंडर का प्रथम माह,माहे मोहर्रम का हो गया शुभारंभ।
शहाबुद्दीन अहमद
बेतिया, बिहार।
इस्लाम धर्म के कैलेंडर को हिजरी संवत कहा जाता है, इसका पहला महीना माहे मोहर्रम है,इस महीने के पहले दिन को नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है,इस दिन मुस्लिम समुदाय के सभी भाई-बहन एक-दूसरे को नववर्ष की बधाई व शुभकामनाएं देते हैं,साथ ही इसके आखिरी महीना को जिलहिज्जा अर्थात पैग़ंबरे इस्लाम के प्यारे नबी की शहादत से इस्लामी माह का आगाज और पैगंबर हजरत इब्राहिमअलैहिस्सलाम व हजरत इस्माइलअलैहिस्सला की कुर्बानी की याद ताजा करने से इस्लामी साल काअंत हो जाता है। 19जुलाई की रात्रि चांद हो जाने पर 20 जुलाई को माहे मोहर्रम का पहला दिन है,इस तरह 29 जुलाई 2023 को यौमेआशूरा यानि दसवीं मोहर्रम मनाया जायेगा,इस दिनअखाड़ा, जुलूस,सीपड़,ताजिया एवन विभिन्न प्रकार के खेल व कर्तव्य दिखाने का आयोजन होगा। मुस्लिम समुदाय के हिजरी संवत1445 का आरंभ होता है,जिस प्रकार हिंदू धर्म का पहला महीना चैत्र मास व क्रिस्चन धर्म का पहला महीना जनवरी माना जाता है।
आज से लगभग 14 साल पहले 680 ईसवी को इराक की राजधानी बगदाद से लगभग 100 किलोमीटर दूर रेगिस्तान की तपती धरती कर्बला के मैदान में पैगंबर इस्लाम के नवासे हजरत इमाम हुसैन समेत 72 साथियों को 3 दिन का भूखा प्यासा रख बेरहमी से शहीद कर दिया गया था। हजरत इमाम हुसैन ने अपने घरवालों,साथियों के साथ जिस तरह यजीदी फौज से लोहा लिया,वह पूरी दुनिया के लिए एक अनूठी मिसाल है। भ्रष्टाचार,बेईमानी,धोखाधड़ी, बुराई से जंग लड़ कर हजरत इमाम हुसैन ने तो शहादत पाली,मगर रहती दुनिया तक बुराइयों से लड़ने के लिए आपसी प्रेम,त्याग,बलिदान, कुर्बानी,आपसी भाईचारा, प्रेम,सांप्रदायिक सौहार्द, सद्भावना बनाए रखने की मिशाल पेश कर दी,इस तरह देखा जाए तो मुहर्रम बुराइयों से दूर रहने,प्रेम,स्नेह सहानुभूति,आपसी भाईचारा, बनाकर जीवन व्यतीत करने का सबक सिखाता है।