सब्र की मेराज का नाम इमाम हुसैन है।
भारत समाचार एजेंसी
सैय्यद फरहान अहमद
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
पांचवीं मुहर्रम को मस्जिदों व घरों में ‘जिक्रे शुहदाए कर्बला’ महफिलों का दौर जारी रहा। फातिहा ख्वानी हुई। शुहदाए-कर्बला का जिक्र सुनकर सबकी आंखें भर आईं।
तुर्कमानपुर व जमुनहिया बाग में पोस्टर प्रदर्शनी 'हमारे हैं हुसैन' लगाई गई। प्रदर्शनी के दौरान लोगों में काफी उत्सुकता नजर आई। इस दौरान हाफिज रहमत अली निजामी ने कहा कि इमाम हुसैन ने अपने साथियों के साथ यजीद की कई गुना बड़ी फौज के साथ किसी मंसब, तख्त ओ ताज, बादशाहत, किसी इलाके को कब्जाने या धन-दौलत के लिए जंग नहीं की बल्कि पैगंबरे इस्लाम हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के दीन-ए-इस्लाम व इंसानियत को बचाने के लिए जंग की थी।
तुर्कमानपुर में कारी मुहम्मद अनस रजवी ने कहा कि यजीदियत हर दौर में हुसैनियत से हारती रहेगी क्योंकि हक से कभी बातिल जीत नहीं सकता। जब परेशानी आए तो सब्र से काम लेना है। वर्तमान दौर में इमाम हसन व इमाम हुसैन की शहादत को याद कर स्वच्छ समाज निर्माण करने की जरूरत है। पोस्टर प्रदर्शनी में मुनाजिर हसन, आसिफ महमूद, अकील अहमद, शमीम अहमद, नसीम अहमद, अमीन अहमद, इम्तियाज अहमद, मो. इदरीस, सैयद शम्स आलम सहित तमाम लोग मौजूद रहे।
रसूलपुर जामा मस्जिद में महफिल जिक्रे शुहदाए कर्बला में मौलाना जहांगीर अहमद अजीजी ने कहा कि इमाम हुसैन अपने इल्म, अख्लाक, बहादुरी, तकवा, परहेजगारी, इबादत और किरदार की वजह से बहुत ज्यादा मकबूल हैं। बुराई का नाश करने के लिए पैगंबरे इस्लाम के नवासे हजरत फातिमा के जिगर के टुकड़े हजरत अली के पुत्र इमाम हुसैन, उनके परिवार व साथियों सहित कुल 72 लोगों ने शहादत दी।
गाजी मस्जिद गाजी रौजा में महफिल जिक्रे शुहदाए कर्बला के दौरान मुफ्ती अख्तर हुसैन ने कहा कि इमाम हुसैन व उनके साथियों ने यजीद फौज की बर्बता के सामने इस्लाम के झंडे को झुकने नहीं दिया। वह अपने परिवार समेत जालिमों के हाथों शहीद हो गए, लेकिन दुनिया को संदेश दे गए कि सही कदम उठाने वाला शहीद होकर भी हमेशा जिंदा रहता है। सब्र की मेराज का नाम इमाम हुसैन है। अंत में दरूदो सलाम पढ़कर मुल्क में अमन, शांति व भाईचारे की दुआ मांगी गई। अली बहादुर शाह यूथ कमेटी द्वारा रहमतनगर में लस्सी बांटी गई। गौसे आजम फाउंडेशन द्वारा शहर में कई जगह फल बांटा गया। जिसमें समीर अली, अली गजनफर शाह, रियाज अहमद, मो. जैद, अमान अहमद, नूर मुहम्मद दानिश, अहसन खान, मो. जैद कादरी, रेयाज अहमद, अली अशहर, सेराजुल हक, मो. आसिफ, अली अफसर, शोमाइल, सैफी, रिजवान, लारैब, हस्सान आदि शामिल रहे।