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Tue, 17 Jun 2025 11:53 PM

सर्वप्रथम सक्षमता उत्तीर्ण विशिष्ट शिक्षकों को राज्यकर्मी घोषित किया जाए और नई शिक्षक स्थानांतरण व पदस्थापन नीति-2024 में आवश्यक संशोधन हो- शाहिद जलाल

जफ़र अहमद

मधेपुरा, बिहार

शिक्षा विभाग बिहार सरकार ने प्रदेश में नई शिक्षक स्थानांतरण व पदस्थापना नीति- 2024 को जारी कर दिया है।जहाँ शिक्षकों को लम्बे समय से इसकी प्रतीक्षा थी,वहीं अब इस नीति के सामने आने के बाद शिक्षकों की आशा, गहरी निराशा में बदलती नजर आ रही है। ऐसा प्रतीत होता है कि शिक्षकों की इस नई स्थानांतरण और पदस्थापन नीति को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने व शिक्षकों के हितों को उचित स्थान देने के बजाय शिक्षकों को दंडित करने के लिए लाया गया है। 

शिक्षकों के देशव्यापी संगठन ऑल इंडिया आईडियल टीचर्स एसोसिएशन के बिहार प्रदेश अध्यक्ष शाहिद जलाल ने कहा कि नई स्थानांतरण व पदस्थापन नीति-2024 के अध्ययन से ऐसा प्रतीत होता है कि सक्षमता उत्तीर्ण स्थानीय निकाय के 1,87,818 शिक्षक जो राज्यकर्मी बनने का लम्बे समय से इंतजार कर रहे हैं को ठगा जा रहा है। हास्यास्पद बात तो यह है कि इस नीति के तहत सभी प्रकार के शिक्षकों का स्थानांतरण/पदस्थापन प्रथम बार मुख्यालय स्तर से करने की बात कही गई है साथ ही साथ जिला स्तर पर और यथासंभव विद्यालय स्तर पर 10,30,30,30 प्रतिशत शिक्षक वेतनमान वाले जिला संवर्ग के शिक्षक, सक्षमता उत्तीर्ण विशिष्ट शिक्षक, स्थानीय निकाय के शिक्षक और TRE 1,2 के विद्यालय अध्यापक को रखने की बात कही गई है जबकि इसी नीति के तहत जिला संवर्ग के शिक्षक और विद्यालय अध्यापक को इस बात की छूट है कि वे अपनी इच्छानुसार पदस्थापित विद्यालय में बने रह सकते हैं और स्थानीय निकाय के शिक्षक पर यह स्थानांतरण नीति लागू ही नहीं होता है। 

             अब ऐसी स्थिति में यह नीति पूरी तरह सक्षमता उत्तीर्ण विशिष्ट शिक्षकों पर फिट बैठती है, जिसमें जो अधिमानता (Order of Preference) के आधार पर जहां स्थानांतरण किया जा सकेगा और जहां स्थानांतरण नहीं किया जा सकेगा दर्शाया गया है समझ से परे है।

   सरकार से हमारी मांग है कि सर्वप्रथम सक्षमता उत्तीर्ण विशिष्ट शिक्षकों के लिए एक अधिसूचना लाकर राज्यकर्मी की घोषणा करें ताकि लम्बे समय से इंतजार कर रहे स्थानीय निकाय के शिक्षकों को सही हक मिल सके और माननीय मुख्यमंत्री और माननीय शिक्षा मंत्री की कही बात सही साबित हो सके। 

अब अगर स्थानांतरण पर बात की जाए तो, इसमें न तो असाध्य रोग, गंभीर रूगण्ता से पीड़ित शिक्षकों की सुविधाओं को दृष्टिगत रखा गया है और न ही दिव्यांग जनों, महिलाओं, शिक्षक दंपतियों, व पुरुष शिक्षकों की हितों की परवाह की गई है। 

प्रदेश अध्यक्ष ने बताया कि इसमें कुछ महत्वपूर्ण बिंदु हैं जिन्हें परिवर्तित करना निंतात आवश्यक है

• असाध्य रोग, गंभीर रूगण्ता, मानसिक दिव्यांगता से पीड़ित शिक्षकों को भी स्वयं के गृह पंचायत, शहरी निकाय, पति/पत्नी के गृह पंचायत, शहरी निकाय से वंचित रखा गया है जो कि कहीं से न्यायोचित नहीं लगता है। सामाजिक- पारिवारिक जीवन में कठिनाई झेल रहे ऐसे शिक्षकों के पेशेवर जीवन भी प्रभावित हो सकते हैं।

• दिव्यांगता के आधार पर नियुक्त शिक्षकों जैसे- दृष्टि बाधित, अस्थि दिव्यांग, मूक बधिर, बहु दिव्यांग आदि को भी स्वयं के गृह पंचायत, नगर निकाय, वर्तमान पदस्थापन के निकायों से वंचित कर दिया गया है जो कि कहीं से भी न्यायोचित नहीं है। अतः इसे बदलकर उन्हें ऑप्शन की आजादी दी जाए या उन्हें स्वयं के गृह के करीब के स्कूलों निकायों में पदस्थापित करने की आवश्यकता है। 

• इसी प्रकार विधवा/परित्यक्त शिक्षिका को भी उनके गृह निकायों से बाहर कर दिया गया है।इसके अतिरिक्त उसे अपने पति के गृह क्षेत्रों से भी वंचित कर दिया गया है।यह भी न्यायोचित नहीं लगता है। ऐसे शिक्षिकाओं को उनके गृह पंचायत या अपने पति के गृह पंचायत के चयन की सुविधा दी जानी चाहिए। 

• महिलाओं को उनके स्वयं के साथ- साथ पति के गृह क्षेत्र (ससुराल) से बाहर निकालने के बजाय उन्हें कम से कम उनके पति के गृह क्षेत्र में पदस्थापित किया जाए। 

• शिक्षक दंपतियों को एक विद्यालय न सही परंतु आसपास के विद्यालयों ( अधिकतम दस किलोमीटर) की दूरी पर पदस्थापित किया जाए ( जैसा कि माननीय शिक्षा मंत्री बिहार सरकार ने अपने पूर्व के वक्तव्य में कहा है) 

• पुरूष शिक्षकों को गृह अनुमंडल से वंचित रखने के बजाय अधिकतम अपने गृह प्रखण्ड/गृह पंचायत से बाहर रखा जाए। वर्तमान में आठ जिले ऐसे हैं जो एक ही अनुमंडल वाले हैं, ऐसी स्थिति के लिए कोई स्पष्ट निर्देश उपलब्ध नहीं है और कई जिलों में सिर्फ दो अनुमंडल हैं। उदाहरण के तौर पर सहरसा जिला, जहाँ एक अनुमंडल में केवल तीन प्रखण्ड है जबकि दूसरे अनुमंडल में सात प्रखण्ड अवस्थित है। इससे न केवल शिक्षकों के पदस्थापन में कठिनाई उत्पन्न होगी बल्कि अनुपातिक विसंगति भी उत्पन्न होगी। निश्चय ही इसमें बदलाव की जरूरत है। 

• अहम बात यह कि शिक्षकों को 10 विकल्प विद्यालय के दिए जाएं।

ऑल इंडिया आईडियल टीचर्स एसोसिएशन (आईटा) बिहार , सरकार से यह मांग करती है कि शिक्षकों की जरूरत व लाभ के मद्देनजर और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए नई शिक्षक स्थानांतरण व पदस्थापन नीति-2024 में उपरोक्त बिंदुओं पर गंभीरतापूर्वक विचार करते हुए आवश्यक संशोधन करने का प्रयत्न करें। 

 उक्त जानकारी आईटा बिहार के स्टेट मीडिया कंवेनर मंजर आलम ने दी।

Karunakar Ram Tripathi
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