ऊंचा सुनना सुस्ती होना वजन बढ़ना थायराइड के लक्षण।
फास्ट फूड से करें परहेज वरना थायराइड जैसी बीमारी से होंगे ग्रस्त।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने की प्रेस वार्ता।
हफ़ीज अहमद खान
कानपुर नगर उत्तर प्रदेश।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन कानपुर शाखा द्वारा "विश्व थायराइड दिवस" के अवसर पर जनता के बीच थायराइड विकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए और आईएमए कानपुर शाखा के डॉक्टरों को शिक्षित करने के लिए सामान्य थायराइड विकारों पर आयोजित सीएमई प्रोग्राम के संबंध में दोपहर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन कॉन्फ्रेंस हॉल की गई इस प्रेसवार्ता को आईएमए कानपुर की अध्यक्ष डॉ नंदिनी रस्तोगी, वक्ता डॉ. ए.के. गुप्ता, प्रोफेसर एवं प्रमुख डिपा० ऑफ मेडिसिन (सेवानिवृत्त), एस.एन. मेडिकल कॉलेज, आगरा, डॉ. ए. के. त्रिवेदी, चेयरपर्सन वैज्ञानिक सब कमेटी, डॉ. अखिलेश शर्मा, उपाध्यक्ष, डॉ. कुणाल सहाय, सचिव, डॉ. मनीष निगम, वैज्ञानिक सचिव, डॉ. दीपक श्रीवास्तव, वित्त सचिव और डॉ. गौरव मिश्रा, संयुक्त वैज्ञानिक सचिव आईएमए कानपुर ने सम्बोधित किया।वक्ता डॉ ए के गुप्ता ने बताया कि थॉयराइड से निकले वाले हार्मोन को थाइरॉक्सिन कहते हैं। इस हार्मोन के कम निकलने से हाइपोथॉइरोडिज़्म हो जाता है। आम भाषा में "इसको थॉयराइड हो गया है" इसी हाइपोथाइरोडिज़्म से इसका तात्पर्य होता है। ये 50 वर्ष की आयु की उम्र तक आते आते 10 प्रतिशत महिलाओं को और 65 वर्ष की आयु आते-आते 10 प्रतिशत पुरुषों को हो जाता है। ज्यादातर महिलाओं में एक से चार किलो थॉयराइड की टी 4, टी एस.एच. (T4, TSH) की जाँच दिन में किसी भी समय दी जा सकती है। हाइपोथाइरोडिज़्म को सबसे प्रमुख कारण हाशीमोटो होता है, जिसमें दवा जीवनभर चलती है। लेकिन कुछ बीमारियों में जैसे प्रसव (प्रेग्नेन्सी) के बाद थॉयराइड होने पर काफी मरीजों में एक साल बाद दवा बन्द हो जाती है। थॉयराइड में कैंसर भी होता है जो ठीक तरह से इलाज (ऑपरेशन) के बाद और फिर रेडियोएक्टिव आयोडिन से अधिकांश मरीजों में पूर्ण रूप से ठीक हो जाता है।इस प्रेसवार्ता को आईएमए कानपुर की अध्यक्ष डॉ नंदिनी रस्तोगी, वक्ता डॉ. ए.के. गुप्ता, प्रोफेसर एवं प्रमुख डिपा० ऑफ मेडिसिन (सेवानिवृत्त), एस.एन. मेडिकल कॉलेज, आगरा, डॉ. ए. के. त्रिवेदी, चेयरपर्सन वैज्ञानिक सब कमेटी, डॉ. अखिलेश शर्मा, उपाध्यक्ष, डॉ. कुणाल सहाय, सचिव, डॉ. मनीष निगम, वैज्ञानिक सचिव, डॉ. दीपक श्रीवास्तव, वित्त सचिव और डॉ. गौरव मिश्रा, संयुक्त वैज्ञानिक सचिव आईएमए कानपुर ने सम्बोधित किया।