एतिकाफ करने में बड़ों संग युवा भी आगे।
सैय्यद फरहान अहमद
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
माह-ए-रमजान का अंतिम अशरा चल रहा है। मस्जिदों में बड़ों से लेकर युवा भी दस दिनों के एतिकाफ में मग्न हैं। अल्लाह की इबादत कर अकीदत का इजहार कर रहे हैं। कुछ ऐसा ही शानदार नजारा जमुनहिया बाग गोरखनाथ स्थित फ़िरदौस जामा मस्जिद में भी देखने को मिल रहा है। यहां दस युवा एतिकाफ में बैठे हैं। जो कक्षा पांच से लेकर इंटर तक की पढ़ाई कर रहे हैं। जिनकी उम्र महज 13 से 21 के बीच है। एतिकाफ में बैठे बच्चों में मो. ईदुल अंसारी (15), मो. अर्सलान अंसारी (17), मो. फैजल अंसारी (16), सैफ अंसारी (21), मो. बेलाल अंसारी (13), मो. साहिल अंसारी (19), मो. उमर अंसारी (18), मो. जुबैर अंसारी (13), मो. अमान कादरी (15), मो. उजैर अंसारी (18) आदि शामिल हैं। इबादत के जज्बे से लबरेज युवा कहते हैं कि दुनिया से ताल्लुक तोड़कर अल्लाह की याद में तल्लीन होने का अपनी ही लुत्फ है।
मस्जिद के सेकेट्री आसिफ महमूद खान व इमाम मौलाना अनवर अहमद ने बताया कि सुबह सहरी के समय सभी की आंखें खुल जाती है। सुन्नत के मुताबिक सहरी कर सभी तहज्जुद की नमाज़ अदा करते हैं। फज्र की नमाज़ के बाद शुरु होता हैं अहकामे शरीअत सीखने का सिलसिला। कुरआन की तीन आयत तिलावत की जाती है फिर उसका तर्जुमा, तफसीर बयान किया जाता है। सभी ध्यान लगाकर सुनते हैं। कुछ देर आराम इसके बाद शुरू होता हैं दूसरा दौर जिसमें कुरआन की तालीम दी जाती है। कुरआन, नमाज़ के साथ तमाम शरीअत के बातें सिखाई जाती है। असर की नमाज़ के बाद पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सुन्नतों का बयान होता है फिर इफ्तार उसके बाद सलातुल अव्वाबीन की नमाज़ पढ़ी जाती है। इशा की नमाज़ अदा करने के बाद तरावीह व वित्र पढ़ी जाती है। कुरआन की तिलावत, अल्लाह की हम्द, पैग़ंबरे इस्लाम पर दरूदो-सलाम का यह सिलसिला ईद के चांद तक यूं ही जारी रहेगा। वहीं शहर की अन्य मस्जिदों में भी बड़ों के साथ युवा एतिकाफ कर खूब नेकी कमा रहे हैं।