पूरे मोहल्ले से कोई भी एतिकाफ़ में नहीं बैठा तो सब गुनाहगार - उलमा किराम
सैय्यद फरहान अहमद
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
उलमा-ए-अहले सुन्नत द्वारा जारी रमज़ान हेल्पलाइन नंबरों पर सवाल-जवाब का सिलसिला जारी रहा। लोगों ने नमाज़, रोज़ा, जकात, फित्रा आदि के बारे में सवाल किए। उलमा किराम ने क़ुरआन व हदीस की रोशनी में जवाब दिया।
1. सवाल : अगर पूरे मोहल्ले से कोई भी एतिकाफ़ में नहीं बैठा तो क्या सब गुनहगार होंगे? (अकमल, तकिया कवलदह)
जवाब : हां। एतिकाफ़ करना सुन्नत अलल किफाया है अगर पूरे मोहल्ले से कोई भी एतिकाफ़ में नहीं बैठा तो सब गुनहगार होंगे। (मुफ्ती अख्तर हुसैन)
2. सवाल : क्या दौराने एतिकाफ़ मोबाइल का इस्तेमाल किया जा सकता है? (सैफ, तुर्कमानपुर)
जवाब : हां, ज़रूरत की बिना पर इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन मस्जिद के आदाब और दूसरे नमाज़ियों के हुक़ूक़ का ख़्याल रखते हुए। (मौलाना मोहम्मद अहमद)
3. सवाल : बगैर वुज़ू के अज़ान देना कैसा? (आसिफ, जमुनहिया बाग)
जवाब : ऐसा करना मकरूह है लेकिन अज़ान अदा हो जाएगी। (मुफ्ती मेराज)
4. सवाल : क्या सगी खाला (मां की बहन) को ज़कात दे सकते हैं? (अब्दुल, अलीनगर)
जवाब : अगर खाला जकात की मुस्तहिक है तो उन्हें ज़कात दे सकते हैं। (मुफ्ती अजहर)