रोज़ा शिष्टाचार सिखाता है : मोहम्मद अहमद
सैय्यद फरहान अहमद
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
गौसिया जामा मस्जिद छोटे काजीपुर के इमाम मौलाना मोहम्मद अहमद निज़ामी ने बताया कि रमज़ान के पवित्र माह में रोज़ा रखने से नसों में खून का दबाव संतुलित रहता है। यह सभ्यता और शिष्टता प्रदान करता है। रोज़ा के दौरान रक्तचाप सामान्य रहने से भलाई, सुव्यवस्था, आज्ञापालन, धैर्य और नि:स्वार्थता का अभ्यास भी होता है। रमज़ान के पवित्र माह में रोज़ा रखने से पाचन क्रिया और अमाशय को आराम मिलता है। सालों-साल लगातार काम करने के कष्ट से शरीर की इन मशीनरियों को कुछ दिनों तक आराम मिलता है। इस दौरान आमाशय शरीर के भीतर फालतू चीजों को गला देता है। यह लंबे समय तक रोगों से बचे रहने का एक कारगर नुस्खा है। उन्होंने बताया कि पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को खजूर बेहद पसंद थी। खजूर में शिफा है। खजूर से रोज़ा खोलना पैग़ंबरे इस्लाम की सुन्नत है। खजूर जन्नत का फल है और इसमें जहर से भी शिफा है। खजूर खाने से न सिर्फ थकावट दूर होती है बल्कि गुर्दे की ताकत भी बढ़ती है।