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धार्मिक / Feb 22, 2024

अजमत बने हाफिज-ए-कुरआन, शहाना बनीं आलिमा

सैय्यद फरहान अहमद

गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।

मेहनत, मजबूत इरादा व लगन हो तो कामयाबी कदम चूमती है इसको साबित किया है सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफरा बाज़ार के पेश इमाम हाफिज रहमत अली निजामी के भाई हाफिज अजमत अली व बहन शहाना खातून ने। 

इमाम हाफ़िज़ रहमत के भाई अजमत ने मदरसा हुसैनिया के शिक्षक कारी मो. सरफुद्दीन मिस्बाही की देखरेख में पूरा क़ुरआन-ए-पाक याद कर लिया वहीं बहन शहाना ने आलिमा पढ़ाई उच्च अंकों के साथ मुकम्मल कर ली है। दोनों होनहार बच्चों को सनद जलसे के दौरान सौंपी गई। दोनों बच्चों की सफलता पर मां फातिमा खातून व पिता हुसैन अली ने खुशी का इजहार किया। सगीर, असगर, रुस्तम, मौलाना शेर मोहम्मद, तारीफ़, सफीउद्दीन, आफताब ने दोनों बच्चों को फूल मालाओं से स्वागत कर तोहफों व दुआओं से नवाजा।

वहीं बरकाती मकतब पुराना गोरखपुर गोरखनाथ के छात्र हाफिज मोहम्मद अयान व हाफिज मोहम्मद नेहाल ने हाफिज रज़ी अहमद बरकाती की निगरानी में पूरा क़ुरआन-ए-पाक याद कर लिया है। इस मौके पर महफ़िल हुई जिसमें हाफिज रजी ने कहा कि क़ुरआन-ए-पाक इसलिए भेजा गया कि हम उसे प़ढ़ें, समझें और उसके मुताबिक़ अमल करें। रमज़ानुल मुबारक की सबसे अज़ीम नेअमत क़ुरआन-ए-पाक है। कुरआन-ए-पाक चमकता हुआ आफताब है। क़ुरआन-ए-पाक करीब 23 साल की मुद्दत में नाज़िल हुआ। क़ुरआन-ए-पाक में 30 पारे, 114 सूरतें और 540 रुकूअ हैं। क़ुरआन-ए-पाक की कुल आयत की तादाद 6666 है। इसकी एक-एक आयत में हिकमत के ख़ज़ाने पोशीदा हैं। क़ुरआन-ए-पाक तारीख़ इंसानी में वह इकलौती किताब है जिसने इंसान को दावत दी है कि वह ग़ौरो फ़िक्र से काम लेकर समझने की कोशिश करे। अपने इर्द-गिर्द फैली हुई कायनात पर नज़र डाले और मुआयना करे। क़ुरआन-ए-पाक अल्लाह की अज़ीम मुकद्दस किताब और हिदायत का खज़ाना है। अंत में दुआ मांगी गई। 

गौसे आजम फाउंडेशन के जिलाध्यक्ष समीर अली, मो. जैद. मो. फैज, अमन, अमान अहमद, मो. जैद चिंटू , रियाज़ अहमद, अली गज़नफर, नूर मोहम्मद दानिश, रेयाज अहमद, मो. शारिक, अहसन खान आदि ने मदरसा हुसैनिया के होनहार छात्रों को दस्तारबंदी के दौरान फूल मालाओं व तोहफों से नवाजा।

Jr. Seraj Ahmad Quraishi
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