अल जामियातुल इस्लामिया अशरफुल मदारिस व् जामिया अशरफुल बनात निसवां गद्दियाना में ख़त्म ए बुखारी शरीफ का आयोजन हुआ।
हफ़ीज अहमद खान
कानपुर नगर, उत्तर प्रदेश।
जामिया अशरफुल बनात निसवां और मदरसा अल जामियातुल इस्लामिया अशरफुल मदारिस गद्दियाना में आयोजन होने वाली 34 वीं वार्षिक अशरफुल अम्बिया कॉन्फ्रेंस व जलसा-ए दस्तार-ए फ़ज़ीलत के तीसरे दौर के प्रोग्राम में जश्न-ए ख़त्म-ए बुखारी शरीफ का आयोजन हुआ बुखारी शरीफ की आखरी हदीस का पाठ छात्रों कों हजरत अल्लामा मुफ़्ती कारी हसीब अख्तर शाहिदी सर बराहे आला दारुल उलूम शाहे आला कुद्रतिया ने पढ़ाया और उन्होंने इमाम-ए बुखारी की जीवनी पर रौशनी डालते हुए कहा कि आप का जन्म 194 हिजरी और इन्तेकाल 256 हिजरी में हुआ 62 साल की थोड़े से समय में आप ने फुनुने हदीस में बहुत सारी किताबें लिखी इमाम-ए बुखारी को लगभग 6 लाख हदीसें याद थीं इमाम-ए बुखारी अल्लाह की बारगाह में बहुत मकबूल थे | कहा कि पहले तुम आम शख्स थे अब एक आलिम की हैसियत से दुनिया के सामने जा रहे हो तुम्हारे उठने बैठने को लोग दीन समझेंगे लिहाज़ा तुम ऐसा काम न करना जो दीन न हो और लोग दीन समझ बैठें एक मशहूर कहावत है आलिम का फिसलना आलम का फिसलना है इस लिए एक एक क़दम फूंक फूँक कर रखना और अपनी पूरी ज़िन्दगी शरीअत और सुन्नत के मुताबिक गुज़ारना | मौलाना हाशिम अशरफ़ी इमाम ईदगाह गद्दियाना ने फरमाया कि रोटी,कपड़ा,मकान का शौक कम करो बच्चो को ज़रूर पढ़ाओ ज़रुरत के मुताबिक इल्म हासिल करना हर मर्द मुसलमान औरत पर पर फ़र्ज़ है प्रोग्राम के इख्तेताम पर उन्होंने आलम-ए इसलाम और मुल्क में अमनो अमान और खुश हाली की दोआ फरमाई इस प्रोग्राम में मेहमान-ए खुसूसी की हैसियत से आए हुए जनाब अलहाज मोज़म्मिल हुसैन साहब का इस्तेकबाल गुलपोशी के जरिया किया गया इस से पहले प्रोग्राम की शुरूआत कारी मो.अहमद अशरफ़ी साहब ने तिलावते कुरआन से किया | नातिया कलाम छात्र व छात्राओं ने पेश किए | संचालन हाफिज़ अरशद अशरफी ने किया | और सलातो सलाम और दुआ पर प्रोग्राम का इख्तेताम हुआ इस मौके पर खास तौर से मौलाना फ़तेह मोहम्मद क़ादरी,मौलाना महमूद हस्सान अख्तर,मौलाना मो.कलीम, मौलाना आबिद रज़ा,हाजी सुलेमान अशरफ़ी , मौलाना क़ासिम अशरफ़ी,सुब्बा भाई,इस्माइल अली, हसन शिबली अशरफ़ी ,रसूल बख्श, हाजी अब्दुल हमीद आदि काफी लोग मौजूद रहे!