एहराम पहनने का तरीका सिखाया गया।
दूसरे चरण का हज प्रशिक्षण।
सैय्यद फरहान अहमद
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
जिले के हज यात्रियों को नार्मल स्थित दरगाह हज़रत मुबारक खां शहीद मस्जिद में रविवार को दावते इस्लामी इंडिया की ओर से दूसरे चरण का हज प्रशिक्षण दिया गया। हज के अहम अरकान व फजीलत पर रोशनी डाली गयी। प्रशिक्षण 18, 25 फरवरी व 3 मार्च को भी दी जाएगा।
हज प्रशिक्षक हाजी मो. आज़म अत्तारी ने कहा कि हज बेहद अहम इबादत है। इसमें सबसे अहम खुलूस है। दिखावे का नाम हज नहीं है। हज अल्लाह की रज़ा के लिए है। पैग़ंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि मकबूल हज करने वाला ऐसा होता है मानो आज ही मां के पेट से पैदा हुआ हो। उसके सभी गुनाह माफ हो जाते हैं। उन्होंने अभ्यास के जरिए हज में पहने जाने वाले खास लिबास 'एहराम' को पहनने का तरीका बताया साथ ही हज पर ले जाने वाले सामानों की लिस्ट व तैयारी, तलबिया यानी 'लब्बैक अल्लाहुम्मा लब्बैक' का अभ्यास कराया। सफर की सुन्नत, आदाब व दुआओं के बारे में भी बताया गया।
प्रशिक्षण की शुरुआत मोहसिन अत्तारी ने क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत से की। नात शरीफ शहजाद अत्तारी ने पेश की। अंत में दरूदो-सलाम पढ़कर नेक व एक बनने की दुआ मांगी गई। प्रशिक्षण में फरहान अत्तारी, वसीउल्लाह अत्तारी, वजीउद्दीन बरकाती, ज़फ़र अत्तारी, रमज़ान अत्तारी, कैफ अत्तारी, अल्तमश अत्तारी सहित तमाम हज यात्री मौजूद रहे।