अल्पसंख्यक मुस्लिम समाज के समस्याओं को लेकर, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री को सौंपा मेमोरेंडम।
शहाबुद्दीन अहमद
बेतिया, बिहार।
पश्चिम चंपारण के पावन धरती पर बिहार सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री, जमा खान को एक मेमोरेंडम जिला के एनसीपी के जिला अध्यक्ष,प्रोफेसर परवेज आलम ने मुस्लिम समाज के समस्याओं को लेकर एक मेमोरेंडम,यतीमखाना बदरिया बेतिया में,अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री के कार्यक्रम में सौंपा। इन्होंने अपने मेमोरेंडम में जिला के मुस्लिम समाज से संबंधित विभिन्न समस्याओं को उजागर करते हुए लिखा है कि
जिला के उर्दू स्कूलों में उर्दू पढ़ाने वाले शिक्षकों की बड़ी कमी है। उर्दू विद्यालयों में भी हिंदी शिक्षक का पदस्थापन कर दिया गया है,जो नियम संगत नहीं है,जिसे उर्दू पढ़ने वाले छात्र छात्राओं को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है,बल्कि उर्दू भाषा पढ़ ही नहीं पाते हैं,इसके अलावा जिन सरकारी उर्दू विद्यालयों में हिंदी शिक्षक की पदस्थापना कर दी गई है,उनके स्थान पर केवल उर्दू पढ़ाने वाले ही शिक्षक की पदस्थापन की जाए,ताकि सभी विषय के पुस्तक उर्दू में ही मुस्लिम समुदाय के छात्र-छात्राएं उर्दू में ही पढ़ सकें,इसके अलावा इसके अलावा जिन निजी, मिशनरी और सरकारी स्कूल में उर्दू की पढ़ाई नहीं हो रही है, वहां मुस्लिम लड़के भी पढ़ते हैं वहां उर्दू शिक्षक के बहाली के लिए इन विद्यालय के संचालक व्यवस्थापक,प्रधानाध्यापक को मुस्लिम समुदाय के बच्चों को एक विषय उर्दू पढ़ाने के लिए शिक्षक रखने काआदेश निर्गत किया जाए। इनके मेमोरेंडम के दूसरी मांगों में जोअल्पसंख्यक कॉलेज व स्कूल वक्फ बोर्ड से 99 सालों के लीज पर लेकर चलाया जा रहा है,अब नए नियम केअनुसार 30 वर्षों सेअधिक का रजिस्टर्ड लीज नहीं होनी चाहिए,नहीं तो ऐसे अल्पसंख्यक कॉलेज और स्कूल की मान्यता समाप्त कर दी जाएगी,वक्फ की जमीन को कैसे कोई वक्फ कमेटी रजिस्टर्ड कर सकती है, जबकि वक्फ बोर्ड भी बिहार सरकार के अंतर्गत आती है। इनअल्पसंख्यक कॉलेजों व विद्यालयों मान्यता बिहार सरकार के शिक्षा विभाग से इसकी मान्यता दिलाई जाए ऐसेअल्पसंख्यक कॉलेज और विद्यालय की मान्यता समाप्त नहीं हो। बिहार सरकार ने उर्दू भाषा को राजकीय भाषा होने के साथ दूसरी भाषा के रूप में मान्यता दी है,मगर बहुत सारे मिशनरी और निजी स्कूल चल रहे हैं,जहां मुस्लिम समुदाय के छात्र छात्राओं को उर्दू की पढ़ाई नहीं होती है,इन विद्यालयों में भी उर्दू की पढ़ाई की व्यवस्था कराई जाए,साथ ही इन विद्यालयों में जुम्मा के दिन मुस्लिम समुदाय के बच्चों को नमाज पढ़ने के लिए 12.30 बजे छुट्टी दिया जाए, ताकि मुस्लिम बच्चे और उनके पिता,गार्जियन समय पर जुमा की नमाज अदा कर सकें,अभी इन विद्यालयों में 1:00 से,1.30 के बीच छुट्टी होने के कारण मुस्लिम समुदाय के बच्चे,उनके पिता,गार्जियन को जुमा की नमाज छूट जाती है।
इन्होंनेअपने मेमोरेंडम के माध्यम से,अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री से आग्रह किया है कि इन सभी समस्याओं का निदानअल्पसंख्यक समुदाय के हित में अभिलंब कराई जाए।
इस पश्चिम जिला के पावन धरती पर पधारेअल्पसंख्यक कल्याण मंत्री,जमा खान व इनके साथआए जदयू विधान पार्षद,खालिदअनवर,अनिसुर रहमान कासमी के कार्यक्रम काआयोजकों के द्वारा विधिवत प्रचार-प्रसार नही होने,निमंत्रण नहीं देने,समय के निर्धारण के बाद भी कार्यक्रम में उलटफेर करने की सूचना भी नहीं देने,1घंटा 30 मिनट देर होने के बाद भी सभा स्थल पर देर से पहुंचने से कार्यक्रम में मौजूदअधिकतर लोगअपने समयअभाव में सभा स्थल से मायूस होकर चले गए। मुस्लिम समाज के अधिकतर लोगों के अलावा कई गणमान्य व्यक्तियों ने भी संवाददाता को इसकी शिकायत की है,बल्कि यूं कहा जाए कि जितनी मुंह उतनी बात वाली कहावत चरितार्थ होती नजरआई,इन्हीं सभी मुस्लिम समुदाय के लोगों का कहना हुआ कि इस कार्यक्रम को प्राय फ्लॉप ही माना जाएगा।