मदरसा रज्जाकिया में मनाया गया इस्लाम के दूसरे खलीफा हज़रते उमर फारूक-ए-आज़म का जलसा।
हफ़ीज अहमद खान
कानपुर नगर, उत्तर प्रदेश।
मदरसा अरबिया रज्जाकिया मदीनतुल उलूम बांस मंडी में यौमे उमर फारूक-ए-आज़म मनाया गया
अमीरूल मोमिनीन हज़रते सैय्यदना फारूक-ए-आज़म रजि. के बारे में पैगम्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते है कि अगर मेरे बाद कोई नबी होता तो वो उमर होते आप इस्लाम के दुसरे खलीफा भी थे, पैगम्बरे इस्लाम इरशाद फरमाते हैं कि मैं बिला शुबा निगाहे नबूवत से देख रहा हूं जिन के शैतान और इंसान के शैतान भी मेरे उमर के खौफ (डर) से भागते हैं। हज़रत आयशा से रिवायत है कि पैगम्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते है कि आसमानो के सितारों के बराबर हमारे उमर की नेकियां हैं उक्त विचार मदरसा अरबिया रज्जाकिया मदीनतुल उलूम के तत्वाधान में आयोजित यौमे उमर फारूक-ए-आज़म के जलसे को संबोधित करते हुए हज़रत अल्लामा व मौलाना मुफ्ती मोहम्मद हनीफ बरकाती मुफ्ती ए-शहर कानपुर ने बांस मंडी मदरसा रज्जाकिया में व्यक्त किए और कहा कि इस्लाम को इतना फायदा किसी के ईमान लाने से नही पहुंचा जितना कि उमर फारूके आज़म के ईमान लाने से पहुंचा, अदल व इंसाफ के पैकर थे हज़रत उमर फारूके आज़म, हज़रत उमर फारूके आज़म रजि. रातों को मदीने के गलियों में गश्त लगाकर लोगों की खबरगीरी किया करते थे, एक रोज़ आपका गुज़र एक रास्ते से हुआ तो एक औरत रो रोकर कह रही थी कि काश हमारा शौहर भी जंग में ना गया होता तो मैं उसके साथ आराम कर रही होती, हज़रत उमर फारूके आज़म उस औरत के ये जुमले सुनकर फौरन घर वापस आए आपकी अहिल्या (पत्नी) का पहले विसाल हो चुका था तो आपने अपनी बेटी हज़रते हफ्सा से पूछा कि औरत कितने दिनों तक अपने शौहर के बगैर रह सकती है? इस सवाल को सुनकर हज़रते हफ्सा ने सिर शर्म से झुका लिया और कि जवाब ना दिया, अपने फरमाया कि अल्लाह तआला हक़ बात में शर्म नही करता तो हज़रते हफ्सा ने हाथ के इशारे से बताया कि तीन महीना ज़्यादा से ज़्यादा चार महीना तो हज़रत उमर फारूके आज़म ने हुक्म जारी फरमा दिया कि जंग में किसी सिपाही को चार महीने से ज़्यादा रोका ना जाए।
इससे पूर्व जलसे की शुरूआत तिलावते कुरआन पाक से हाफिज मोहम्मद तौफीक ने की और बारगाहे रिसालत में हाफिज नेमत उल्लाह, मोहम्मद सैफ, मोहम्मद वसीद, मोहम्मद अनवर, मोहम्मद शाहजेब ने नात शरीफ का नजराना पेश किया जलसे की सरपरस्ती हाफिज अब्दुल रहीम बहराइची व संचालन माजूर कानपूरी ने किया।
इस अवसर पर प्रमुख रूप से मौलाना मुफ्ती मोहम्मद रफी अहमद मिस्बाही निजामी, मौलाना फिरोज़ अहमद, हाफिज मोहम्मद साबिर उवैसी, हाफिज मोहम्मद खुर्शीद, अब्दुल कलाम, मोहम्मद कैफ, हाजी अतीक, मोहम्मद ज़ुबैर खान, हाजी मोहम्मद नसीम अंसारी, हाजी मोहम्मद आसिफ रईस, मोहम्मद फिरोज़,सैयद रईसुल हसन हाजी मेहमूद आलम, हाजी मोहम्मद ताहिर आदि लोग उपस्थित रहे।