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Wed, 18 Jun 2025 05:07 AM

मुस्लिम समुदाय का पवित्र रमजान काआखिरी जुमा (जमीयतुलविदा) हर्ष उल्लास के साथ हुआ संपन्न।

शहाबुद्दीनअहमद/बेतिया।

मुस्लिम समुदाय का 1 महीने का पवित्र रमजान का महीना में 5 जुम्मा के पड़ने से रोजेदारों के बीच बड़ी खुशी का माहौल है। इस वर्ष रमजान का पवित्र महीना पवित्र दिन जुम्मा से आरंभ होकर जुम्मा के दिन ही समाप्त हो गया। पवित्र रमजान का आखिरी जुम्मा,जमीयतुलविदा की नमाज अदा करने के लिए हजारों हजार की संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग शहर एवं ग्रामीण क्षेत्रों के मस्जिदों में समय के पूर्व से ही उपस्थित होकर अपनी अपनी जगह बना रहे थे,अलविदा की नमाज अदा करने के लिए शहरी क्षेत्रों के सभी मस्जिदों में विशेष प्रबंध किए गए थे,जिसमें नमाज पढ़ने के लिए दरी,चादर,चटाई जानमाज,गर्मी से बचने के लिए तिरपाल,शेड,लाउडस्पीकर, माइक इत्यादि का विशेष प्रबंध किया गया था। इसअवसर पर भारी भीड़ को देखते हुए मुस्लिम समुदाय के युवकों ने वॉलिंटियर की एक टीम बनाकर अपनी पैनी नजर रखे हुए थे,ताकि किसी प्रकार की कोईअप्रिय घटना नहीं घट सके। पुलिस प्रशासन एवं जिला प्रशासन की भी बहुत सख्त चौकसी के साथ मजिस्ट्रेट के नेतृत्व में पुलिस बल के जवान लगाए गए थे,सभी चौक चौराहों पर नमाजियों के आने जाने के लिए विशेष व्यवस्था की गई थी। पुलिस प्रशासन एवं जिला प्रशासन भी चुस्त-दुरुस्त नजर आए। 1 घंटे के समय के अंतराल में इस अलविदा की नमाज की अदा करने के लिए सभी मुस्लिम धर्मावलंबियों की एक अपार भीड़ उमड़ी हुई थी,जिसे नियंत्रण करने के लिए मुस्लिम समुदाय के युवकों वैलेंटियर्स के रूप में चारों तरफ काम कर रहे थे।शहर के बड़ी मस्जिद,जंगी मस्जिद, महावतटोली मस्जिद,उज्जैन टोला मस्जिद,कालीबाग मस्जिद, पुरानी मस्जिद,नया टोला मस्जिद मनसा टोला मस्जिद,छावनी मस्जिद,बस स्टैंड मस्जिद के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों के सभी मस्जिदों में अपार भीड़ नमाज अदा करने हेतु जमा हुई थी।

इस मौके पर सभी मस्जिदों के इमाम इस पवित्र रमजान की सारीअच्छी बातों को बता रहे थे, अलविदा की नमाज अदा करने के लिए सारी गाइडलाइंस दे रहे थे,साथ ही पवित्र रमजान के रोजा रखने से क्या-क्या लाभ होता है,क्यों अल्लाह ताला ने रमजान का रोजा सभी मुस्लिम मर्द और औरतों और बच्चों पर फर्ज किया है,ताकि इस महीने में सभी लोग अल्लाह की इबादत करके अपने गुनाहों से तौबा करें, और हमेशा अच्छे काम करने के लिए प्रेरित हो सकें। इस महीने में गरीब,लाचार,बेसहारा,वृद्ध,अपंग पुरुष और महिलाओं के बीच अपनी जकात और फितरा का रकम अदा करने के लिए जरूरी मार्गदर्शन दिया जाता है,ताकि ईद पर्व की खुशी इन लोगों को भी उसी तरह हासिल हो सके,जिस तरह समाज में खुशहाल,अमीर, सर्व संपन्न लोग अपनी खुशी का इजहार करते हैं।इस महीने की विशेषता यह है कि इस पूरे एक महीने में सभी मुस्लिम समुदाय के युवक,युवतियां,पुरुष,महिला बालिग बच्चे बच्चियां,रोजा नमाज तरावीह,कलाम पाक की तिलावत,जिक्र कर सकें। इस महीने में तीन अशरा हुआ करते हैं,जो 10 -10 दिन का होता है, और अंतिम अशरे में मस्जिदों में लोग एतकाफ करते हैं,जिसमें रात दिन लोग अल्लाह की इबादत और उनसे अपने गुनाहों से तौबा करते हैं,और अच्छे काम करने के लिए भी तत्पर रहते हैं।

इस अवसर पर सभी मस्जिद के इमामो ने नमाज के बाद देश दुनिया की खुशहाली,संप्रदायिक सौहार्द,देश का विकास,आपस में भाईचारा,प्रेम,स्नेह बनाए रखने की अल्लाह से दुआ मांगी।

Karunakar Ram Tripathi
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