लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण अभियान द्वारा चलाए जा रहे पदयात्रा का समापन
वक्ताओं ने कहा- सत्ताधारी दल झूठ फैलाकर बने रहना चाहती हैं सत्ता में।
ब्यूरो चीफ़ विनोद विरोधी
गया, बिहार।
लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण अभियान के बैनर तले शेरघाटी अनुमण्डल मेंडोभी प्रखंड के जयप्रकाश नगर से बीते5 फरवरी2023 से शुरु किये गये सामाजिक जागरूकता पदयात्रा का समापन आज बाराचट्टी के सरवाँ बाज़ार मेंसमापन किया गया प्रथम चरण का पदयात्रा, खेती किसानी, मजदूरों की समस्या और नफ़रत के माहौल के सवाल पर आयोजित की गई।जिसमें 10 पंचायतों एवं 50 से अधिक गांवों और उसके बसावटों का भ्रमण शामिल रहा। समस्त कार्यक्रम श्री कारूजी, संयोजक गया ज़िला एवं राज्य कमिटी सदस्य के आह्वान से प्रस्तावित की गई।
लोकमंच के फादर आंटो ने कार्यक्रम के विस्तारित प्रारूप में मुख्य भूमिका निभाई। लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण अभियान बिहार के सदस्य मो. अबुल फरह की गरिमामयी उपस्थिति और मार्गदर्शन ने कार्यक्रम को सफल बनाने में सहायक सिद्ध हुआ। पदयात्रा को धार देने एवं पदयात्रिक व्यवस्था का सफल संचालन में श्याम बिहारी सिंह, परमेश्वर प्रसाद उर्फ विनोबा जी, जगत भूषण, गुप्तेश्वर मण्डल, आनन्द, संजय आनन्द, संगीता कुमारी, सरोज, कुमकुम भारद्वाज, रामाशीष पासवान, वृज रविदास, विनोद कुमार दास, रामाशीष यादव, मिथलेश कुमार निराला, यमुना मण्डल, रामदेव जी, विद्या जी, हरेन्द्र प्रसाद , राजेन्द्र प्रसाद मेहता, नसीरुद्दीन अंसारी, बीरेंद्र अर्जक, राजेन्द्र महतो, सुदेश्वर माँझी, महादेव पासवान, शशि कुमार, शिवनन्दन पासवान, बसंती दीदी, कृष्णदेव यादव,रिंकू देवी इत्यादि ने कार्यक्रम को सफल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। आज के सभा के मुख्य अतिथि संयोजक, लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण अभियान, बिहार के संयोजक सुशील एवं प्रदीप प्रियदर्शी सह -संयोजक, लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण, बिहार, मंचासीन रहे।
5 फरवरी 2023 से आयोजित पदयात्रा का आयोजन अनेक केन्द्रित विषयों पर आधारित रहा अभियान का यह मानना है कि लोकतंत्र और संविधान आज खतरे में है। पूरे देश में आज नफ़रत के माहौल की खेती में सत्ता सीधे सीधे तौर पर शामिल और खड़ी दिखती है। सत्ताधारी दल झूठ फैलाकर सत्ता में बने रहना चाहती है। हिन्दू राष्ट्र के नाम पर अन्य धर्मों के बारे में ज़हर उगलने का काम,"पंथनिरपेक्षता और संविधान का उल्लंघन है।"
केन्द्र की वर्तमान सरकार के मुखिया ने केंद्रीय सत्ता में आने से पूर्व ही किसानों से किसानों की आय दुगनी करने का वादा किया था और सत्ता में आते ही अपने वादे और इरादे की तरफदारी भी नहीं कर सकी। शिक्षित बेरोजगार युवाओं को प्रत्येक वर्ष दो करोड़ रोजगार देने का वादा भी, चुनावी जुमला, देश के गृह मंत्री द्वारा करार दिया गया और वादे से मुकर कर पढ़े लिखे नौजवानों को अंधेरी गुफ़ा का सहयात्री बनने पर मजबूर कर दिया गया।बीजेपी के आठ साल के शासनकाल में मंहगाई दुगने और तिगुने से भी अधिक ऊंचाई छूने की प्रतियोगिता कराई जा रही है। जन आकांक्षी बजट के नाम पर कटोरा थमाने की ही तैयारी स्पष्ट तौर पर दिखाई पड़ रही है। कटोरों को नए नए शब्दों के द्वारा मकड़ जाल बुन कर डुगडुगी पूरी शिद्दत के साथ बजाई जा रही है और यह सब जनता को भरमाने और बहकाने को किया जा रहा है। फिसलती अर्थ व्यवस्था पर बहस ना कर धर्म आधारित बहस का प्रचलन को स्थापित कर दिया गया है। लोगों के भूख केन्द्र सरकार की चिन्ता से बहुत दूर जा खड़ा हुआ है। रोज़गार की व्यवस्था हो या विकास का आयोजन, योजना निर्माण और अध्ययन की बात हो या योजना क्रियान्वयन सभी भ्रष्टाचार के बिना पर्याय बने हुए हैं। किसी भी दफ़्तर में बिना रिश्वत दिए काम होना सम्भव ही नहीं रहा। मालगुजारी की वसूली हो या दाखिल खारिज़, अनुज्ञप्ति हो या टैक्स वसूली सभी जगह धांधली और भ्रष्ट आचार व्याप्त है ,पुलिस और कोर्ट तो दूर से ही भ्रष्टाचार में आकंठ डूबा नज़र आता है। रोज़गार उन्मुखी कार्यक्रम हो या गरीबी उन्मूलन, जागरूकता आधारित कार्यक्रम हो या विकास आधारित कार्यक्रम , सभी योजनाओं में लूट मची हुई है। ऊपर से नीचे तक, अधिकारी से कर्मचारी तक, सभी भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जा रहे हैं। जन प्रतिनिनिधि भी उन्हीं से मिले हुए होते हैं। ऐसी हालत में बेरोजगारी में बढ़ोतरी होना स्वाभाविक है। बेरोजगारी और लूट से नज़र भटकाने को सरकार गरीबों को रेवड़ी बांट कर बुनियादी समस्या से मुंह मोड़ ली है।80-100 करोड़ जनता के हाथ में सरकार कटोरा थमा कर उसका विज्ञापन करने से भी बाज़ नहीं आ रही। शिक्षा से जन को वंचित किए जाने को सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का नाम दे कर लागू की है। पढ़ाई के नाम पर खाना पूरी, ऑनलाइन शिक्षा का प्रबन्ध किया गया है जिससे नई पीढ़ी को दिमाग और आंख दोनों से अंधा बनाने का प्रबन्ध शामिल है। कोरोना की अव्यवस्था से सभी परिचित हैं, स्वस्थ्य शरीर को बीमारू बनाने के षड्यंत्र में पूरी व्यवस्था ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। भगवान भरोसे डेढ़ अरब नागरिकों को छोड़ दिया गया है। हालात बद से बदतर किए जाते रहे और प्रेस ब्रीफिंग चलता रहा इससे कौन परिचित नहीं। कोरोना जैसी विभीषिका में नफ़रत का माहौल क़ायम किया जाता रहा। वोह तो इस देश के सहिष्णु लोगों और गैर सरकारी संस्थानों ने अपने भाइयों की ख़बर ली एवं उनके दुःखों पर मरहम रखा। खाने को अनाज और जमा किए धन बांटा। पूरे माहौल में सरकार कहां थी और क्या कर रही थी किसी से छुपा हुआ नहीं है। अब समय आ गया है देश की बर्बादी को रोका जाए। रेलवे, अस्पताल, स्कूल, प्लेटफार्म एवं अन्य सरकारी एवं अर्द्ध -सरकारी उपक्रमों, सार्वजनिक सम्पत्तियों को निजी हाथों में सौंपे जाने से बचाने हेतु संघर्ष करें, सरकार का मन ऐसे कृत किए जाने को मचल रहा है। देश अपना है, देश का संसाधन और सम्पत्ति को बचाना हमारा धर्म। सहिष्णू समाज बनाना हमारा परम धर्म। संविधान सुरक्षा को अक्षुण्य बनाए रखना हम सब की जवाबदेही है।