न्यायमूर्ति को भेंट किया गोरखपुर आगमन का चित्र।
नई दिल्ली,
सर्वोच्च न्यायालय में एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड अनुपम मिश्रा ने माननीय न्यायमूर्ति पंकज मित्थल न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय को उनके सिविल कोर्ट गोरखपुर में आगमन का चित्र भेंट किया। गोरखपुर सिविल कोर्ट बार एसोसिएशन के तरफ से दिए स्मृति में अपने पिता स्वर्गीय ओंकार नाथ मिश्र एडवोकेट और बाबा स्वर्गीय कैलाशपति मिश्र एडवोकेट के चित्र अनावरण के चित्र भेंट किया। माननीय न्यायमूर्ति ने । बीते 18 अप्रैल को गोरखपुर सिविल कोर्ट में आकर स्मृतिशेष दोनों विभूतियों के चित्र का अनावरण किया था। स्मारणांजलि समारोह कार्यक्रम में उपस्थित होने पर सिविल कोर्ट बार एसोसिएशन अध्यक्ष भानु प्रताप पांडेय व मंत्री गिरिजेश मणि त्रिपाठी ने माननीय न्यायमूर्ति के गोरखपुर आगमन का आभार जताया है।
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स्वर्गीय कैलाश पति मिश्रा सिविल कोर्ट गोरखपुर में 1946 से 1994 की अवधि में लगभग 48 वर्षों तक वकालत करते हुए ख्याति अर्जित किया। सरकारी हाईस्कूल बस्ती, इविंग क्रिश्चियन कालेज इलाहाबाद और इलाहाबाद विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त करने वाले 1940 में गणित में एमए, 1944 में एलएलबी. उत्तीर्ण किया। 1945 में अधिवक्ता रूप में बार में शामिल हुए। कानून के सिविल पक्ष पर विशेष रूप से अभ्यास करते रहे, सिविल कोर्ट क्लब के संस्थापक सदस्य रहे। पूर्वोत्तर रेलवे के लीगल एडवाइजर होने के साथ सेंट्रल बैंक आफ इंडिया के अधिवक्ता के रूप में कार्य किया। गोरखपुर के बड़े सिविल मुकदमों के साथ विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के न्यायिक मुकदमों सहयोगी भूमिका का निर्वहन किया। उनका निधन 21 नवंबर 1994 को हुआ। अधिवक्ता के रूप में उनके कार्य प्रेरणा स्रोत हैं। स्मृतिशेष ओंकारनाथ मिश्रा एडवोकेट अपने पिता के आदर्श को आत्मसात करके स्मृतिशेष ओंकार नाथ मिश्र ने न्याय दिलाने में तत्पर रहे। सिविल कोर्ट गोरखपुर में 1967 से 2021 की अवधि के दौरान 50 वर्षों से अधिक समय तक वकालत करते हुए न्याय दिलाने में योगदान किया। अधिवक्ता होने के साथ सामाजिक कार्यों में जो योगदान किया जो आदर्श है। 26 अप्रैल 2021 कोराना काल में उनका निधन हो गया था।