सोनपुर मेला के प्राचीन स्वरूप को बरकरार रखते हुए आधुनिक स्वरूप प्रदान किया जायेगा : राजीव प्रताप रूडी
13 नवंबर से 14 दिसंबर तक लगेगा सोनपुर मेला
सोनपुर/हाजीपुर(वैशाली) बिहार
विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला का हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के दिन समारोहपूर्वक उद्घाटन सरकारी स्तर पर किया जाता है।इस परंपरा को बनाये रखते हुए इस बार भी 13 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन मेले का उद्घाटन किया जायेगा।नगर प्रशासन सोनपुर के सभा कक्ष में स्थानीय सांसद सह जल संसाधन संबंधी संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष व पूर्व केन्द्रीय मंत्री राजीव प्रताप रुडी के नेतृत्व में सोनपुर मेला और स्वदेश दर्शन योजना की समीक्षा बैठक की गई।बैठक में अधिकारियों के साथ सोनपुर मेला निमित विधि-व्यवस्था एवं मेले के आयोजन से संबंधित बिंदुओं और स्वदेश दर्शन परियोजना पर गहन विमर्श हुआ।सांसद के नेतृत्व आयोजित बैठक में सोनपुर आयोजना क्षेत्र प्राधिकार के सीईओ रंजीत कुमार,उप विकास आयुक्त यतीन्द्र कुमार पाल,उप समाहर्ता मुकेश कुमार, आशीष कुमार एसडीएम,रश्मि कुमारी डीसीएलआर,सोनपुर के प्रखंड विकास पदाधिकारी,एसडीपीओ सोनपुर,डीपीओ छपरा सहित सभी प्रशासनिक अधिकारी,स्थानीय जन प्रतिनिधि व मेला समिति से जुड़े सदस्य उपस्थित थे।सांसद श्री रुडी ने कहा कि सारण में सोनपुर जैसे चर्चित और पौराणिक मेले के प्राचीन स्वरूप को बरकरार रखते हुए आधुनिक स्वरूप प्रदान करने का कार्य हो रहा है।उन्होंने कहा कि पहले ही स्वदेश दर्शन योजना के तहत 12.26 करोड की लागत से आमी मंदिर का विकास किया जा रहा है।अब आने वाले दिनों में स्वदेश दर्शन योजना के दूसरे चरण में 50 करोड़ से अधिक की लागत से सोनपुर मेला आयोजन क्षेत्र को स्वदेश दर्शन योजना योजना से जोड़ा जायेगा।उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में केंद्र सरकार देश को सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ाने के लिए न केवल संकल्पित है,तदनुरूप योजनाओं परियोजनाओं को निरंतर कार्यान्वित भी कर रही है।इसी के संदर्भ में सारण के प्राचीन मंदिर को पर्यटकों की सुविधा के लिए सभी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जायेगी।बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए सांसद ने कहा कि मेले के आयोजन की जिम्मेदारी और उसके सही संचालन की जिम्मेदारी जिलाधिकारी के साथ-साथ हम सब पर होती है।सोनपुर की इस पावन भूमि को गज ग्राह से जाना जाता है। ग्रंथों के उल्लेख के अनुसार ग्राह ने गज पर हमला किया था।उसको बचाने गरुड़ पर सवार होकर भगवान विष्णु आये।एक समय था जब यह मेला एशिया के सबसे बड़े पशु मेला के तौर पर जाना जाता था पर अब इस मेला का आकार दिनों दिन छोटा होता जा रहा है।इस लिए सोनपुर मेले की पौराणिकता को कायम रखने की जिम्मेदारी हम सब की है।आधुनिकता के तौर पर मेले में आने वाले पर्यटकों के लिए कई सुविधाएं शुरू की जा रही है।