नमाज़े तरावीह औरतों के लिए भी लाज़िम है - उलमा किराम
सैय्यद फरहान
गोरखपुर उत्तर प्रदेश।
उलमा-ए-अहले सुन्नत द्वारा जारी रमज़ान हेल्पलाइन नंबरों पर सवाल-जवाब का सिलसिला जारी रहा। लोगों ने नमाज़, रोज़ा, जकात, फित्रा आदि के बारे में सवाल किए।
1. सवाल : क्या नमाजे तरावीह औरतों के लिए भी लाज़िम है? (अफरोज, सैयद आरिफपुर)
जवाब : जी हां। नमाज़े तरावीह औरतों के लिए भी सुन्नते मुअक्कदा (लाज़िम) है। (मौलाना मोहम्मद अहमद)
2. सवाल : रोज़े की हालत में वुजू करते समय पानी हलक से नीचे उतर जाए तो? (नसीम, बसंतपुर)
जवाब: अगर रोज़ादार होना याद था और ये गलती हुई तो रोज़ा टूट जाएगा। (मुफ्ती अजहर)
3. सवाल : जकात की रकम किस्तों में दे सकते हैं? (सेराज, गाजी रौजा)
जवाब : साल पूरा होने के बाद बिला उज्र ताखीर करना मकरूह है। हां अगर कोई शदीद मजबूरी हो कि रकम इकठ्ठी नहीं दे सकता तो किस्तों में भी देने से अदा हो जाएगी। (मुफ्ती मेराज)