रोज़ा न रखना बहुत बड़ा गुनाह है : हाफिज रज़ी
सैय्यद फरहान अहमद
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
बरकाती मकतब पुराना गोरखपुर गोरखनाथ के शिक्षक हाफिज रज़ी अहमद बरकाती ने बताया कि हमें अपनी गलतियों को सुधारने का मौका रमज़ान के रोजे में मिलता है। गलतियों के लिए तौबा करने एवं अच्छाइयों के बदले बरकत पाने के लिए भी इस महीने की इबादत का महत्व है। दीन-ए-इस्लाम में बेहद खास है माह-ए-रमज़ान। हर बालिग मुसलमान मर्द व औरत जो अक्ल वाला व तंदुरुस्त हो उस पर माह-ए-रमज़ान का रोज़ा रखना फ़र्ज़ है। जो मुसलमान रोज़ा नहीं रखता है वह अल्लाह की रहमत से महरूम रहता है। रोज़ा न रखने पर वह शख़्स अल्लाह की नाफरमानी करता है। रोज़ा न रखना बहुत बड़ा गुनाह है। रोज़ा का इंकार करने वाला दीन-ए-इस्लाम से खारिज है। माह-ए-रमज़ान बहुत ही रहमत व बरकत वाला महीना है। अल्लाह के बंदे दिन में रोज़ा रखते है और रात में खास नमाज तरावीह पढ़ते है। इस माह में मुसलमान कसरत से जकात, सदका, फित्रा निकाल कर गरीब, यतीम, बेसहारा, बेवाओं की मदद करते हैं।