Tranding
Wed, 18 Jun 2025 12:19 PM

स्वतंत्रता, स्वराज की अलख जगाने वाला है बेनीपुरी का साहित्य : प्रो० श्रीप्रकाश सिंह

दिल्ली।

दिल्ली विश्वविद्यालय के कला संकाय में हिन्दी विभाग के आचार्य डॉ० अजीत कुमार पुरी जी की पुस्तक 'स्वतंत्रता संग्राम,समाजवाद और श्रीरामवृक्ष बेनीपुरी' का भव्य लोकार्पण संपन्न हुआ। यह लोकार्पण अपनी व्याप्ति में ऐतिहासिक रहा;ऐसा कहना है कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे दिल्ली विश्वविद्यालय के दक्षिण परिसर के निदेशक प्रो० श्रीप्रकाश सिंह जी का।

अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए प्रो० श्रीप्रकाश सिंह ने कहा कि श्रीरामवृक्ष बेनीपुरी ने अपने जीवन ही नहीं बल्कि अपने साहित्य में भी सम्बन्धों विशेषकर मनुष्य के जन्म से ही जुड़े नाना - नानी, बुआ - फूफा आदि को महत्व दिया है, जो कि आज के समय में अधिक प्रासंगिक है।उन्होंने ऐसी पुस्तकों और उनके लोकार्पण को संस्कार सृजन की शाला के समान बताया। जो हमारी राष्ट्रीय भावना को प्रेरित करती है।

मुख्य अतिथि के रूप में बेनीपुरी जी की पुत्रवधु शीला बेनीपुरी जी ने पुस्तक के लेखक को अपने आशीर्वचन से अभिसिंचित किया और बेनीपुरी की साहित्य चेतना का स्मरण करते हुए कहा कि वे बाल्यकाल से ही बेनीपुरी से प्रभावित रहीं थी।

मुख्य वक्ता के रूप में अपना वक्तव्य देते हुए दैनिक जागरण के वरिष्ठ पत्रकार डॉ० अनन्त विजय ने कहा कि भारतीय समाजवाद अन्तिम व्यक्ति को अपना लक्ष्य मानते हुए शुरू से ही अहिंसा के मार्ग पर चलकर समाज के उत्थान की बात करता है।

विशिष्ट वक्तव्य देते हुए प्रो० कुमुद शर्मा ने इस पुस्तक को साहित्य जगत की महती उपलब्धि के रूप में रेखांकित किया। उन्होंने ने इस पुस्तक को अत्यंत श्रम - साध्य बताते हुए कहा कि गद्य की शायद ही कोई विधा होगी जिसपर बेनीपुरी जी ने कलम नहीं चलाई।

इसी श्रृंखला में अपना वक्तव्य देते हुए वरिष्ठ आलोचक प्रो० अनिल राय ने कहा कि बेनीपुरी जी पर बहुत कम पुस्तकें उपलब्ध हैं। इस रूप में यह पुस्तक मील का पत्थर साबित होगी। पुस्तक की भाषा की सराहना करते हुए उन्होंने इसकी भाषा को प्रांजल बताते हुए उसे पानी के सहज प्रवाह के समान बताया।

लेखकीय वक्तव्य देते हुए डॉ० अजीत कुमार पुरी जी ने कहा कि बेनीपुरी जी ने साहित्य लेखन की प्रेरणा मानस से लेकर उसे देश और समाज की सेवा से जोड़ा। आगे बोलते हुए उन्होंने कहा कि हमारी भारतीय सांस्कृतिक विरासत सदैव से ही सकारात्मक और सृजनात्मक रही नकारात्मकता बाहर से आए घुसपैठी विचारों की देन है। भारत में स्वाधीनता की भावना अति प्राचीन है। इसे बनाए रखने के लिए यहाँ के निवासियों ने अद्भुत तप और श्रम किया है। १९वीं व २०वीं सदी में जो स्वतंत्रता - संग्राम भारतवर्ष ने लड़ा,उसकी अग्रिम पंक्ति में हिन्दी के साहित्यकार भी मजबूती से डटे थे; श्रीरामवृक्ष बेनीपुरी भी उन्हीं में से एक थे। पत्रकारिता, साहित्य और राजनीति के तीन - तीन मोर्चों पर उन्होंने लोहा लिया। न झुके, न पीछे हटे। स्वतंत्रता_संग्राम_समाजवाद_श्री_रामवृक्ष_बेनीपुरी नामक पुस्तक में बेनीपुरी जी के साहित्य और पत्रकारिता जगत में किए गए कार्यों को उद्घाटित करने का एक लघु प्रयास है।

कार्यक्रम का संचालन हिन्दी विभाग के डॉ० ऋषिकेश सिंह ने किया। कुलगीत और वंदे मातरम् का गायन विधि और शिखा ने किया। अखण्ड भारत का संदेश देती हुई बनाई गई रंगोली पूरे दिन आकर्षण का केन्द्र रही। आभार ज्ञापन हिन्दी विभाग के डॉ० सुनील वर्मा ने किया। कार्यक्रम में हिन्दी विभाग,दिल्ली विश्वविद्यालय और संघटक महाविद्यालयों से आए तमाम शिक्षकों और गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति रही।सारा सभागार आदि से अन्त तक श्रोताओं से भरा रहा।

Karunakar Ram Tripathi
54

Leave a comment

logo

Follow Us:

Flickr Photos

© Copyright All rights reserved by Bebaak Sahafi 2025. SiteMap