झोलाछाप डॉक्टर व अवैध नर्सिंग होम संचालक हैं मौत के सौदागर।
शहाबुद्दीन अहमद
बेतिया,पश्चिमी चंपारण, बिहार।
जिला के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रो में कुकरमुत्ते की तरह संचालित हो रहे,निजी डॉक्टर क्लीनिक,अवैध व अनिबंधीत नर्सिंग होम,जांच घर,एक्सरे सेंटर रोगियों के लिए मौत के सौदागर बनकर उभर रहे हैं।
रोगी और उनके परिजनों को बेतिया जीएमसीएच के कर्मी, नर्सिंग स्टाफ,दलाल,आशा कार्यकर्ता इत्यादि बहला फुसलाकर कमीशन खोरी के नियत से झोलाछाप डॉक्टरों के निजी क्लीनिक,अवैध व गैर निबद्धित नर्सिंग होम,जांच घर,एक्सरे सेंटर में भेजकर मौत के सौदागर बन रहे हैं, साथ ही जानवरों की तरह बलि चढ़ा दे रहे हैं। जानवरों को भी बलि चढ़ाने का समय सीमा निर्धारित है,मगर मानव के रूप में रोगियों का कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है। इन सभी जगहों पर आसानी से रोगी का कत्लेआम किया जा रहा है,अस्पताल के दलालों के द्वारा कमीशन खोरी के चक्कर में रोगियों काआर्थिक शोषण तो हो ही रहा है,साथ ही साथ जान भी गंवानी पड़ रही है,इसके अलावा इन स्थानों पर रोगियों की मृत्यु होने पर इन झोलाछाप निजी डॉक्टर के दलाल एवं गुंडो के द्वारा मृत रोगी के परिजनों को डरा धमकाकरआपसी लेनदेन का सौदा करके मामला को रफा दफा कर देते हैं,इसके साथ ही मृत व्यक्ति के परिजन डर के मारे राशि के लालच में अपने मृत परिजनों का अंतिम संस्कार करके अपनीअंदर की अंतरात्मा को झझोंडकर,लिए हुए राशि सेअंतिम संस्कार के बाद बचे हुए पैसे से मृत्यु उपरांत अन्य रीति रिवाजों को बड़ी आसानी से अंजाम दे देते हैं,चांदी के जूते की मार मृत रोगियों के परिजनों को सभी दुख दर्द को,सामाजिक परिवेश में भी बर्दाश्त करने की क्षमता रख लेते हैं।जिला प्रशासन एवं अस्पताल प्रशासन को प्रिंट मीडिया एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यमों से रोगियों का इन झोलाछाप निजी डॉक्टर के क्लीनिक,जांच घर,नर्सिंग होम,एक्स-राय सेंटर में रोगियों के मरने की सूचना प्रतिदिन मिलती रहती है,मगर प्रशासन इस पर मुकदर्शक बना रहता है। इन प्रतिष्ठानों पर छापेमारी टीम बनाकर छापेमारी करने का केवल ढूंढोरा पीटा जाता है,मगर करवाई नाम की कोई चीज नहीं होती है,फिर यही एजेंसियां एक महीने के अंतराल पर पुनःसंचालन शुरू कर देती हैं,और जांच टीम के अधिकारियों को सुविधा शुल्क का लेनदेन करके रोगियों के लिए मौत के सौदागर बनकर उभरने लगते हैं। सिविल सर्जन बेतिया,अस्पताल प्रशासन, जिला प्रशासन इन प्रतिष्ठानों पर कोई कार्रवाई नहीं करती है जिससे इन लोगों का मनोबल बढा रहता है,साथ ही मौत का सौदागर बनकर पुनःअपना काम शुरू कर देते हैं।