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Wed, 18 Jun 2025 08:29 AM

सरैयामन काअस्तित्वअब खतरे में,बिकने वाला पानी, अब नहाने लायक भी नहीं।

शहाबुद्दीन अहमद

बेतिया, बिहार।

बेतिया मुख्यालय से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बैरिया प्रखंड के उदयपुर जंगल में स्थित,सरैयामन का पानी पहले बिकता था,अब यह पानी नहाने लायक भी नहीं बचा,साथ ही वन विभाग की लापरवाही से इसका अस्तित्व खतरे में पड़ गया, वन विभाग को इसकेअस्तित्व के बारे में सारी जानकारी रहते हुए भी मुकदर्शक बना हुआ है,

पूर्व के कई वर्षों में इस सरैयामन का पानी के किनारे किनारे हजारों की संख्या में जामुन के पेड़ रहने के कारण, जामुन का फल इसकेअंदर गिरने से यह पानी बहुत ही खारा,साल्टीयुक्त होता था,जो चिकित्सकीय दृष्टिकोण से कई हानिकारक बीमारियों में काम आता था,स्थानीय लोग इसको खरीद कर कई बीमारियों के लिए इसका उपयोग करते थे, साथ ही इसके पानी की बिक्री भी होती थी,मगर अभी स्थिति यह है किअब यह पानी पीने के लायक भी नहीं,बल्कि यह भी कहा जा सकता है कि इससे नहाना भी कष्टदायक है।

इतना ही नहीं,इस मन में मछलियों का अंबार रहता था, जिसे लोग इस मन के नाम पर मछली आंख बंद करके खरीदते थे,कि यह मछली चिकित्सीय दृष्टिकोण से लाभदायक है,इसके लिए लोगों में मारपीट भी हो जाया करती थी,इस मन की मछली कई शहरों के लोग आकर ले जाया करते थे,लोग इसे गिफ्ट के तौर पर इस्तेमाल करते थे, मगर वन विभाग की सारी लापरवाही,अनदेखी, रखरखाव,ठीक से नहीं रखने के कारण इस जिले की एक खास,अजीबोगरीब धरोहर सूखने के कगार पर पहुंच गई है,साथ ही इसकाअस्तित्व भी खतरे में पड़ गया है। इसकी विशेषता यह है कि यह 400 किलोमीटर के दायरे में घोड़े के पैर के खुर के आकार के जैसा फैला हुआ था,मगरअब इसका 50%भाग सूख रहा है,साथ ही इसकी गहराई 90 फीट से घटकर30 फीट तकआ गई है।

इस मन की सफाई पहले मशीनरी एवं केमिकल तौर पर की जाती थी,जिससे इसकी सफाई होने से इसकी पानी चिकित्सकीय दृष्टिकोण से बहुत लाभदायक हो जाती थी, इसमें होने वाली मछली भी लोगों को खाने में स्वादिष्ट एवं स्वास्थ्यवर्धक होती थी। इस मन की चौहद्दी की घेर घेराओ करके अतिक्रमण भी स्थानीय लोगों के द्वारा किया जा रहा है, यह एक सैर सपाटे का स्थल था,यहां प्रति वर्ष पहली जनवरी को स्थानीय लोगों के अलावा दूसरे दूसरे जिले से भी लोग अपनी पूरी फैमिली के साथ पिकनिक मनाने आते थे, इसके अलावा विभिन्न पर्व त्योहार एवं अन्य अवसरों पर भी लोग अपने पूरे परिवार के साथ आकर यहां पिकनिक की खुशियां मनाते थे। सैर सपाटे एवं पिकनिकों के दिनों में लोग इस मन में नाव के द्वारा चारों ओर पानी में घूमते थे,और इसके नजारा का फोटो शूट भी करते थे। इस मन में बोटिंग के द्वारा भी लोग इसके नजारा से आकर्षित होते थे,इसके चारों ओर बहुत बड़े क्षेत्र में ग्रामीण इलाका के रहने के कारण लोग इसकी खूबसूरती,पानी पीना, नौकायन से लाभान्वित होते थे।यह एक पर्याटलीय स्थल के रूप में जाना जाता था।

सरकार इस मन को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने का रूप दिया था,और इसमें बोट वगैरह भी खरीदे गए थे,जो रखे रखे बर्बाद हो गए,अब इसमें बोटिंग करने के लिए भी पानी की कमी है। इस मन को पर्यटन के स्तर पर विकसित करने के लिए सारी योजना बनी थी,जो अब फ्लॉप होती नजर आ रही है। इस संबंध में संवाददाता को रेंजर,रामप्रवेश ठाकुर ने बताया कि इस मन के विकास की योजना के लिए कोई विशेष पैकेज की राशि प्राप्त नहीं हो रही है,जिससे इसका सिल्ट्रेशन,इसकी सफाई की जा सके,इसके लिए सरकार से राशि की मांग की गई है,विशेष पैकेज या राशि प्राप्त होते ही इसका सिल्ट्रेश,नसफाई का काम शुरू कर दिया जाएगा,जो एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा।

Jr. Seraj Ahmad Quraishi
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