रवायत के मुताबिक हुई मस्जिदों में परचम कुशाई।
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
मोहल्ला गाजी रौजा स्थित गाजी मस्जिद में बाद नमाज फज्र परचम कुशाई मुफ्ती-ए-शहर अख्तर हुसैन मन्नानी व हाफिज रेयाज अहमद ने की। इसके बाद मिलाद शरीफ की महफिल हुई। जिसमें मुफ्ती अख्तर हुसैन ने पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की शान बयान की। कहा कि पैग़ंबरे इस्लाम की शिक्षा से ही दुनिया में अमन शांति संभव है। पैग़ंबरे इस्लाम ने अपने किरदार व व्यवहार, मोहब्बत, भाईचारगी, अमन, शांति, अमानतदारी, वादा-वफा की वजह से सबका दिल जीत लिया। सारा जहां पैग़ंबरे इस्लाम के जन्मदिवस की खुशियां मना रहा है। पैग़ंबरे इस्लाम ने फरमाया है कि पड़ोसियों के साथ मोहब्बत से रहो। उनके खुशी गम में बराबर के शरीक रहो। छोटों से मोहब्बत करो। आपस में मोहब्बत से रहो। लड़ाई झगड़े से दूर रहो। जुबान से गंदी बातें न निकालो, गाली न दो। वादा खिलाफी न करो। हमेशा सच बोलो। झूट से दूर रहो। नमाज़ कायम करो।
गाजी रौजा के जुलूस में शुएब, सेराज अहमद कुरैशी, मोहम्मद आजम, मोहम्मद मोहतशीम, मोहम्मद जिशान, मोहम्मद अर्श, मोहम्मद उज्जैर, शमसुल , याकूब, मसूद, हाजी उबैद खान, ताबिश सिद्दीकी, कासिफ, शिराज, शहबाज, शादाब अहमद, अब्दुल मतीन फैजी शामिल रहे।
घोसीपुर में मुफ्ती मेराज अहमद कादरी व कारी मो. अनस रजवी ने कहा कि पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम केवल मुसलमानों में ही नहीं बल्कि हर मजहब में कद्र की ऊंची मंजिल पर विराजमान हैं। यहां सैयद मो. काशिफ, मो. अल्तमश , सैयद शारिक, सैयद ओसामा आदि मौजूद रहे। छोटे काजीपुर स्थित गौसिया जामा मस्जिद में परचम कुशाई मौलाना मोहम्मद अहमद निज़ामी व कारी शमसुद्दीन, नूरी मस्जिद तुर्कमानपुर में मौलाना मो. असलम रज़वी, शाबान अहमद, अलाउद्दीन निज़ामी, मनोव्वर अहमद, हाजी जलालुद्दीन, आकिब, मस्जिद जामे नूर बहादुर शाह जफ़र कालोनी बहरामपुर में हाफिज सद्दाम हुसैन, मुख्तार अहमद, कारी जमील, सुन्नी जामा मस्जिद सौदागर मोहल्ला में कारी मो. मोहसिन रजा, सुब्हानिया जामा मस्जिद तकिया कवलदह में मौलाना जहांगीर अहमद अजीजी, मियां बाजार में वारिस कमेटी के अब्दुल कादिर, नूर मोहम्मद दानिश, अली हसन, सुन्नी बहादुरिया जामा मस्जिद रहमतनगर में मौलाना अली अहमद, सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफ़रा बाजार के निकट हाफिज रहमत अली निज़ामी आदि ने परचम कुशाई की। इसके अलावा शहर की तकरीबन सभी मस्जिदों में परचम कुशाई की गई।