हिंदी दिवस के उपलक्ष पर नगर में विभिन्न कार्यक्रमों का हुआआयोजन।
शहाबुद्दीन अहमद
बेतिया,पश्चिमी चंपारण, बिहार।
प्रत्येक वर्ष के भांति इस वर्ष भी हिंदी दिवस केअवसर पर, नगर में,कई शिक्षण व कोचिंग संस्थानों में विभिन्न कार्यक्रमों काआयोजन बड़ी धूमधाम से किया गया,इसअवसर पर वक्ताओं ने अपने-अपने विचारों को उपस्थित लोगों के बीच रखा।विचार व्यक्त करने के क्रम में, वक्ताओं ने कहा कि 14 सितंबर1949 को संविधान सभा द्वारा हिंदी को राजभाषा के रूप में अंगीकृत किया गया था,इसलिए प्रतिवर्ष 14 सितंबर को देशभर में हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। हिंदी भाषा हमारी राष्ट्रीय अस्मिता की पहचान तथा जनमानस की अभिव्यक्ति का माध्यम है। बिहार हिंदी भाषी राज्य है,साथ ही यहां 1950 से ही राजभाषाअधिनियम लागू है। राजभाषा के रूप में हिंदी सरकारी कामकाज की भाषा है,सरकार का जबरदस्त निश्चय है कि शासन के सभी स्तरों पर हिंदी का पूर्ण प्रयोग किया जाए।आजादी के बाद संविधान सभा के द्वारा हिंदी को राजकीयभाषा का दर्जा प्रदान किया गया था। लंबे संघर्ष के बाद1947 में जब भारत आजाद हुआ तो देश में राजकीय भाषा के चयन को लेकर एक बड़ी समस्या खड़ी हो गई| विविधता भरे इस देश में लोगों के द्वारा करीब1700 भाषाओं का प्रयोग होता था, ऐसे में सरकार के लिए एक कठिन चुनौती थी कि आखिर किस भाषा को राजकीय भाषा के रूप में स्वीकार किया जाए| जब हिंदी भाषा को राजकीय भाषा के रूप में चयन की बात आई तो दक्षिण के राज्यों ने विद्रोह शुरू कर दिया।उनका कहना था किअंग्रेजी को ही राजकीय भाषा का दर्जा मिलना चाहिये,काफी जद्दोजहद के बाद14 सितंबर 1949 कोआखिरकार हिंदी को ही राजकीय भाषा के रूप में दर्जा प्रदान किया गया| आज हिंदी दुनिया में बोली जाने वाली भाषाओं में तीसरी बड़ी भाषा बन गई है| हिंदी भाषा के विकास में इतिहास को थोड़ा पीछे की ओर चलेंगे तो मालूम चलेगा कि हिंदी भाषा को जो इस रूप में हम देख रहे हैं,उसके लिए हिंदी को लगभग 1200 वर्षों का सफर तय करना पड़ा। हिंदी का विकास क्रमशःवैदिक संस्कृत-संस्कृत -पालि- प्राकृत-अपभ्रंश -हिंदी के रूप में हुआ। हिंदी भाषा का सर्वाधिक विकास अंग्रेजों के आगमन के बाद हुआ|अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों के विरुद्ध जब भारतीयों को जागृत करने कीआवश्यकता पड़ी तो भारतीय लेखकों ने हिंदी भाषा का खुलकर प्रयोग किया। हिंदी का पहला सप्ताहिक समाचार पत्र 'उदंत मार्तंड' का 30 मई1826 को बंगाल से प्रकाशन हुआ था, उसके संपादक थे,पं.जुगल किशोर शुक्ल! वस्तुत: जुगल किशोर शुक्ल कानपुर के रहने वाले थे,पेशे से वकील थे, लेकिन हिंदी साहित्य के प्रति उनकी अभिरुचि ने उन्हें लिखने के लिए प्रेरित किया| उन दिनों कोलकाता;भारत की राजधानी हुआ करता था, इसलिए पं.जुगल किशोर शुक्ल कोलकाता आए और उन्होंने हिंदी पत्र पत्रिकाओं का प्रकाशन शुरू किया,उसके बाद कई पत्र पत्रिकाओं का प्रकाशन हिंदी भाषा में प्रारंभ हुआ।देश में नवजागरण का काल शुरू हो गया,इसलिए हिंदी भाषा का देश के विकास मेंअहम भूमिका रही है| धीरे-धीरे हिंदी का प्रचार प्रसार बढ़ता ही जा रहा है| भारत के अलावा नेपाल,बांग्लादेश, पाकिस्तान, इंडोनेशिया,चीन, जापान, जर्मनी, न्यूजीलैंड, मॉरीशस,दक्षिण अफ्रीका, कनाडा आदि देशों में बड़े पैमाने पर बोली और समझी जाने वाली भाषा है।