तमन्ना, आरज़ू, हसरत, तलब, अरमान है भारत।
वन्दना!!! मैं ज़की तारिक बाराबंकवी
यह घोषणा करता हूँ कि निम्नलिखित ग़ज़ल/कविता मेरी मूल कृति है।यदि भविष्य में इस से संबंधित कोई विवाद उत्पन्न होता है तो इस की सारी जवाबदेही मेरी होगी।
इसमें कही से भी कॉपी पेस्ट नही है
बाराबंकी, उत्तर प्रदेश।
( मोहब्बते-वतन )
तमन्ना, आरज़ू, हसरत, तलब, अरमान है भारत।
हमारा दिल भी है भारत हमारी जान है भारत।।
तेरी अज़मत पे हर बासी तेरा क़ुर्बान है भारत।
तेरी ये आन है भारत तेरी ये शान है भारत।।
ये बस यूँही नहीं है तुझ में इतनी ख़ूबियाँ ही हैं।
जो हम सब की ज़बानों पर तेरा गुनगान है भारत।।
कोई भी देश हो या उस का बाशिन्दा हो हाकिम हो।
तेरी ये शानो-शौकत देख कर हैरान है भारत।।
अवाम इस के बहुत सी ज़ातों और धर्मों पे मबनी हैं।
बताओ तो ज़रा इक मुल्क या गुलदान है भारत।।
कोई भी देश इस की अज़्मतों को छू नहीं सकता।
क़सम अल्लाह की कुछ इस क़दर ज़ीशान है भारत।।
जिसे इक़बाल, ग़ालिब, मीर सीने से लगाते थे।
वही तहज़ीब का गहवारा हिंदुस्तान है भारत।।
बताता है हमें इस का तरक़्क़ी करता हर लम्हा।
उरूज आरा तमामी मुल्कों का सुल्तान है भारत।।
इसी ने तो तुझे ये पुर कशिश रअनाई बख़्शी है।
ऐ दुनिया ख़ूबरू दुनिया तेरी पहचान है भारत।।
तेरी ख़ातिर मैं अपनी ज़िंदगी क़ुर्बान कर दूँगा।
तेरी चाहत, मोहब्बत तो मेरा ईमान है भारत।।
हमारी भूक बढ़ने से ज़रा पहले "ज़की तारिक़"।
अभी तो खेत था भारत अभी खलयान है भारत।।
ज़की तारिक़ बाराबंकवी
संपादक
उर्दू साप्ताहिक समचार पत्र
"सदा ए बिस्मिल"
बाराबंकी, उत्तर प्रदेश।