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धार्मिक / Apr 20, 2023

रमज़ान में कमाई हुई नेकियां फिल्में देखकर बर्बाद न करें।

सैय्यद फरहान अहमद

गोरखपुर, उत्तर प्रदेश। 

तेज धूप के बीच माह-ए-रमज़ान का 27वां रोजा अल्लाह की हम्दो सना में बीता। मस्जिद व घरों में इबादत का दौर जारी है। ईद की खरीदारी में तेजी आ गई है। बाजार रातभर गुलजार रह रहा है। मदीना मस्जिद रेती के इर्द-गिर्द का नजारा लखनऊ के अमीनाबाद की याद दिला रहा है।

सुन्नी बहादुरिया जामा मस्जिद रहमतनगर में गुरुवार 20 अप्रैल की रात में दरूद डे मनाया जाएगा। सामूहिक रूप से दरुद शरीफ पढ़कर अल्लाह से अमनो-अमान की दुआ मांगी जाएगी। यह जानकारी अली गजनफर शाह ने दी है। उन्होंने बताया कि अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक 20 अप्रैल 571 ई. को पैगंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का जन्म हुआ था। दरूद शरीफ पढ़ने का सिलसिला रात से सहरी के समय तक चलेगा। सामूहिक रूप से सहरी की जाएगी। 

मस्जिद खादिम हुसैन तिवारीपुर में चल रहे विशेष दर्स के दौरान कारी अफजल बरकाती ने कहा कि अगर आप मालिके निसाब हैं, तो हक़दार को ज़कात ज़रूर दें, क्योंकि ज़कात ना देने पर सख़्त अज़ाब का बयान कुरआन-ए-पाक में आया है। जकात हलाल और जाइज़ तरीक़े से कमाए हुए माल में से दी जाए। ज़कात ना देने वालों के बारे में अल्लाह तआला क़ुरआन-ए-पाक में इरशाद फरमाता है कि "जो लोग सोना-चांदी जमा करते हैं और उसे अल्लाह तआला की राह में ख़र्च नहीं करते हैं, तो उन्हें दर्दनाक अज़ाब की ख़ुशख़बरी सुना दो"। ईद की नमाज से पहले-पहले सदका-ए-फित्र अदा कर दें।

सुब्हानिया जामा मस्जिद तकिया कवलदह में मौलाना जहांगीर अहमद अज़ीज़ी ने कहा कि दीन-ए-इस्लाम में सिनेमा, नाच-गाना नाजायज व हराम है। अक्सर देखने में आता है कि माह-ए-रमज़ान के खत्म होने के बाद सिनेमाहॉलों में मुस्लिम समाज से काफी नौजवान जुटते हैं। फिल्मों के टिकट की एडवांस बुकिंग करवाते हैं। इन सारे कामों की इजाजत दीन-ए-इस्लाम नहीं देता है। इन हरकतों से माह-ए-रमज़ान के सारे सवाब बर्बाद हो जाते हैं। इन सब खुराफतों से आप खुद भी बचें और अपने परिवार, पास-पड़ोस व दोस्त अहबाब को बचाएं। फिल्म देखने में खर्च की जाने वाली रकम गरीबों, यतीमों, बेवाओं, बेसहारों पर खर्च करें। माह-ए-रमज़ान आपको दीनदार, परहेजगार व अल्लाह का फरमाबरदार बनाने के लिए आया है। 

मस्जिद जामे नूर जफ़र कॉलोनी बहरामपुर के मौलाना सद्दाम हुसैन निज़ामी ने कहा कि हदीस पाक में है कि जो शख्स रमज़ानुल मुबारक के आने की खुशी और जाने का गम करे उसके लिए जन्नत है। रमज़ान एक बेहतरीन माह है जिसमें अल्लाह की रहमते बढ़ जाती हैं। दुआएं कुबूल होती हैं। हमें शरीअत के मुताबिक ज़िंदगी गुजारनी चाहिए। रमज़ान ने हमें कामयाबी का रास्ता दिखा दिया है अब हमारी जिम्मेदारी है कि उस पर मजबूती के साथ चलकर दुनिया व आखिरत संवारें। नमाज की पाबंदी करें। नेक बनें। शबे कद्र की आखिरी ताक रात गुरुवार 20 अप्रैल को है उसमें खूब इबादत करें। जकात व फित्रा हकदारों तक पहुंचा दें। जहन्नम से आजादी का अशरा चल रहा है लिहाजा रो-रो कर खूब दुआ मांगें। कुरआन-ए-पाक की तिलावत करें।

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Jr. Seraj Ahmad Quraishi
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