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Wed, 18 Jun 2025 11:48 AM

प्रेस,पब्लिक और पुलिस की आपसी तालमेल से हीअपराध पर नियंत्रण होगा संभव।

शहाबुद्दीन अहमद

बेतिया(पश्चिमी चंपारण)बिहार।

इन दिनों पूरे जिले में विभिन्न प्रकार के अपराध,अपराधियों के द्वारा किए जा रहे हैं। पुलिस अपनी सतर्कता से अपराध पर काबू पाने में उतनी सक्षम नहीं हो पा रही है,जितना होना चाहिए, इसका मुख्य कारण संसाधन की कमी के साथ लापरवाही, दूरदर्शिता की कमी नजर आ रही है। इसके साथ ही,प्रेस,पब्लिक और पुलिस की आपसी सामंजस्य की कमी रहने से भीअपराध परअंकुश नहीं लग पा रहा है,जब तक इन तीनों काआपसी गठजोड़ नहीं बन पाएगा,तब तक पुलिस के द्वारा अपराध/अपराधी पर नियंत्रण रखना संभव नहीं हो पाएगा। जिले में बहुत ऐसी घटनाएं घटती है,जिसको पब्लिक बताना नहीं चाहता है,मगर मीडिया वालों को खबर मिल जाने के बाद पुलिस की सक्रियता नहीं रहने के कारण, मीडिया वालों के के द्वारा भेजे गए खबर को नहीं ध्यान देने के कारण अपराधी का मनोबल बढ़ता जाता है,और साथ ही मीडिया वालों को भी तरजीह नहीं दी जाती है जितना कि सरकार के द्वारा इस पद पर जीत देने की बात बताई गई है,अपराधी,अपराध कर देते हैं। प्रेस,पब्लिक,पुलिस का एक दूसरे से अनुस्राये,अनुपातिक, पारस्परिक संबंध होना चाहिए, यह संबंध 35:25:40 के अनुपात में ही रहना चाहिए तभी जाकर अपराध,और अपराधी पर नियंत्रण किया जा सकता है।

पुलिस प्रशासन अपने आप में अपनी समझदारी से ऊपर उठकर बिना किसी समर्थन के काम करने पर आतुर हो जाती है, जिसका परिणाम यह होता है कि अपराधी,अपराध की घटना को अंजाम देकर घटनास्थल से चले जाने के बाद ही पुलिस वहां पहुंचती है,जिसका नतीजा यह होता है कि अपराधी का मनोबल तो बढ़ ही जाता हैऔर पुलिस भी अपने उद्देश्य में असफल हो जाती है। अपराध पर नियंत्रण रखने के लिए पुलिस प्रशासन को प्रेस (मीडिया) और पब्लिक को अपने विश्वास में लेकर कार्रवाई करनी होगी,तभी जाकर अपराध एवं अपराधियों पर नियंत्रण किया जा सकता है। संवाददाता को पता चला है कि थानों पर पब्लिक के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता है उन्हें डांट डपट कर भगा दिया जाता है गाली गलौज जी किया जाता है उनके आवेदन लेने से भी इनकार कर दिया जाता है जिसके कारण पब्लिक पुलिस से हमेशा खौफ ज्यादा रहती है इसके अलावा मीडिया वालों से भी पुलिस अपने पुलिसिया अंदाज में बात करती है, सम्मानजनक बात करने का कोई इरादा नहीं रखती है,जबकि मीडिया वाले अपराध की सूचना देने के लिए तत्पर रहते हैं,मगर उन लोगों से भी जो व्यवहार होना चाहिए वह नहीं हो पाता है, पुलिस अपने वर्दी के रोब में किसी को कुछ नहीं समझती है, इसी कारणवश,अपराध पर नियंत्रण नहीं हो पा रहा है। पुलिस की निष्क्रियता भी अपराध पर अंकुश लगाने में सक्षम नहीं हो पा रहा है,यह अत्यंत दुखद है। 

यह आवश्यक प्रतीत हो रहा है कि प्रेस,पब्लिक और पुलिस को आपस में अनुस्राय संबंध बनाकर,अपराध औरअपराधी पर नियंत्रण करने में महती भूमिका निभानी होगी,तभी जाकर पुलिस प्रशासन भी अपराध पर अंकुश लगाने में सक्षम हो पाएगी।

Karunakar Ram Tripathi
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