निकाह आसान बनाइए, दहेज छोड़िए - सूफ़ी सैफुल्लाह क़ादरी
* ईद मिलादुन्नबी जलसे में दिया समाज सुधार का पैग़ाम
सेराज अहमद कुरैशी
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
रहमत नगर मस्जिद के पास, शादी खाना आबादी के मौक़े पर, जलसे में ग़ौसे आज़म फाउंडेशन के चेयरमैन व चीफ़ क़ाज़ी, हज़रत सूफ़ी सैफुल्लाह क़ादरी ने निकाह में सादगी अपनाने और दहेज़ से बचने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “अगर उम्मत को बचाना है, तो निकाह आसान कीजिए। दिखावा, दहेज़ और झूठी शान, हमारी बेटियों को बिन ब्याही रख रही है।”
कार्यक्रम में नात, सलात व सलाम और दुआ के साथ महफ़िल रौशन रही। समाज सुधार का यह पैग़ाम लोगों में गूंजता रहा — "निकाह को बोझ नहीं, सुन्नत समझिए।"
ग़ौसे आज़म फाउंडेशन गोरखपुर अध्यक्ष समीर अली ने बताया कि हज़रत को दो माह पहले ही आमंत्रित किया गया था। उनके ज़रिए समाज को जो पैग़ाम मिला, वह क़ाबिले-गौर है।
कार्यक्रम में मौलाना महमूद रज़ा क़ादरी, हाफ़िज़ सद्दाम हुसैन, हाफ़िज़ मोहम्मद शारिक़, रियाज़ अहमद, मोहम्मद ज़ैद, तौसीफ़ खान, मोहम्मद फैज़, मोहम्मद ज़ैद कादरी, सलमान अली सलमानी, अमान अहमद, मोहम्मद फैसल, अनवर अली, अली गज़नफर शाह अज़हरी आदि ने सहयोग किया।