राष्ट्रीय युवा दिवस पर,स्वामी विवेकानंद पर एक दिवसीय कार्यशाला का हुआ आयोजन
शहाबुद्दीन अहमद
बेतिया, बिहार
राष्ट्रीय युवा दिवस के उपलक्ष पर,स्वामी विवेकानंद की 162 वी जन्म दिवस पर एक कार्यशाला काआयोजन किया गया,जिसका विषय था "राष्ट्र निर्माण में स्वामी विवेकानंद का महत्व एवं योगदान"।इस अवसर पर विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों, बुद्धिजीवियों एवं छात्र छात्राओं ने भाग लिया,इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार सह संस्थापक,मदर ताहिरा चैरिटेबल ट्रस्ट, डॉअमानुल हक ने संयुक्त रूप से स्वामी विवेकानंद को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि आज ही के दिन 162 वर्ष पूर्व 12 जनवरी 1863 को भारत के महान विचारक युगपुरुष, स्वामी विवेकानंद का जन्म हुआ था।भारत के महान दार्शनिक,स्वामी विवेकानंद की 162 वीं जन्म दिवस मनाने काअवसर प्राप्त हो रहा है,भारत की स्वाधीनता आंदोलन एवं भारत के महान स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन पर स्वामी विवेकानंद के विचारों का गहरा प्रभाव रहा है,स्वामी विवेकानंद का आधुनिक भारत के निर्माण में योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।भारत सरकार ने 12जनवरी1984 को प्रत्येक वर्ष 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया था। नोबेल पुरस्कार विजेता सह महान स्वतंत्रता सेनानी,रविंद्र नाथ टैगोर,महात्मा गांधी,बाल गंगाधर तिलक, नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसेअनेक महान स्वतंत्रता सेनानियों ने स्वामी विवेक विवेकानंद के जीवन दर्शन से प्रेरणा हासिल किया था।अहिंसाअपनाने वाले महात्मा गांधी,सुभाष चंद्र बोस ,हेमचंद्र घोष जैसे क्रांतिकारी नेता,सभी ने विवेकानंद की विराट देशभक्ति से प्रेरणा प्राप्त की। उन्होंने तोअरविंद घोष पर भी गहराआध्यात्मिक प्रभाव डाला,बाद में वह अरविंद बन गए।भारत के राष्ट्रीयआंदोलन पर स्वामी विवेकानंद के प्रभाव का वर्णन स्वयं राष्ट्रवादियों ने किया है। गांधीजी जब 1901 में पहली बार कांग्रेसअधिवेशन में हिस्सा लेने कलकत्ता पहुंचे तो उन्होंने स्वामी जी से मिलने का प्रयास भी किया था। अपनीआत्मकथा में गांधी लिखते हैं कि उत्साह में वह पैदल ही बेलुरमठ पहुंच गए। वहां का दृश्य देखकर वह विह्वल हो गए,मगर यह जानकर बहुत निराश हुए कि स्वामी जी उस समय कलकत्ता में थे,बहुत बीमार होने के कारण किसी ने मिल नहीं रहे थे।विवेकानंदआज जीवित होते तो राष्ट्र जागरण में बहुत सहायता मिलती।