सरयू के पावन तट पर 40 दिनों तक चलने वाला 108 कुंडीय राजसूय महायज्ञ विशाल जल कलश यात्रा से शुरू।
आजमगढ़ मंडल प्रभारी धनंजय शर्मा
बिल्थरारोड, बलिया, उत्तर प्रदेश।
जनपद के सिकंदरपुर तहसील क्षेत्र के डूहाँ में "108 कुंडीय अद्वैत शिवशक्ति कोटि होमान्तक श्री राजसूय महायज्ञ" का शुभारंभ विशाल भव्य जल कलश यात्रा के साथ आज 11दिसंबर बुधवार को शुरुवात हो गई। विशाल कलश यात्रा दर्जनों घोड़ों संघ,पीले वस्त्रों को धारण कर हजारों की संख्या में महिला व पुरुषों ने श्री बनखंडी( श्री नागेश्वर नाथ महादेव)मठ डूहाँ के प्रांगण से जल कलश यात्रा निकाला गया । लगभग 2 किलोमीटर लंबी कतार में गगन भेदी जयकारो, बैंड बाजों संघ महिलाओं की भक्तिमय सुरीली गीतों के बीच पूरा वातावरण भक्ति मय बन गया था। यह यात्रा अद्वैत शिव शक्ति धाम डूहाँ पहुंचा। जहां यज्ञाचार्य पंडित रेवती रमण तिवारी संग 51 सहयोगी विद्वानों की टीम ने विधि विधान से सरयू मां के पूजन का कार्य संपन्न कराया। मुख्य यजमान के रूप में अद्वैत शिव शक्ति परमधाम दुआ के परिब्रजकाचार्य स्वामी ईश्वर दास ब्रह्मचारी के प्रतिनिधि के रूप में श्रद्धानाथ भारती एवं आयोजक समिति के अध्यक्ष श्री देवेंद्र सिंह ने निभाया। इसके उपरांत मिट्टी के सुसज्जित क्लश में जल भरकर महिला व पुरुषों ने यज्ञ मंडप पहुंचकर, मंडप स्थल की परिक्रमा कर सभी कलाश को प्रतिष्ठापित करने का काम किया।
वाराणसी से पधारे जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती जी महाराज एवं मथुरा वृंदावन से आमंत्रित साध्वी आर्य पंडित जल कलश यात्रा में शामिल होकर आमजन को दर्शन देते हुए जुलूस की शोभा बढ़ाने का काम किया।
अंत में सभी को यज्ञ स्थल पर महाप्रसाद का वितरण भी किया गया।
युक्त कार्यक्रम में सिकंदरपुर थाने के प्रभारी निरीक्षक विकास चंद्र पांडे के निर्देशन में पुलिस की चुस्त व्यवस्था देखने को मिली। क्षेत्र से हजारों की संख्या में श्रद्धालु माताएं, बहने शामिल रही। अपनी अपार आध्यात्मिक ऊर्जा शक्ति से आत्मिक शुद्धि और मोक्षदायिनी सरयू नदी के तट पर क्षेत्र के डुहा स्थित श्रीवनखंडी नाथ मठ किसी पहचान का मोहताज नहीं है। अपनी भव्यता, अलौकिक छवि और आध्यात्मिक शक्ति के लिए सदैव से चर्चा में रहा यह मठ एक बार फिर आकर्षण का केन्द्र बन कर उभरेगा।
त्रेता और द्वापर युग के बाद कलिकाल में राजसूय महायज्ञ के जरिए भारतीय संस्कृति के पुनरुत्थान व धर्म संस्थापना का कार्य करने वाला यह पूर्वांचल ही नहीं अपितु देश का पहला मठ होगा। जिसका उद्देश्य धर्मावलंबियों को ईश्वरीय आनंद की अनुभूति के साथ दुर्भाग्य और रोगों से मुक्ति दिलाने के साथ सौभाग्य की प्राप्ति कराना है।
मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष एकादशी तिथि से शुरू होकर माघ कृष्णपक्ष पंचमी तिथि ( 11 दिसंबर से 19 जनवरी) तक चलने वाले 40 दिवसीय अद्वैत श्री शिवशक्ति कोटि होमात्मक राजसूय महायज्ञ स्थल को तैयार किया गया है। जिसमें 108 यज्ञ कुंडों का निर्माण हुआ है। वहीं यज्ञ स्थल को भव्य रूप से सजाया व संवारा गया है। यज्ञ परिसर की भव्यता रमणीय है।
सामाजिक समरसता व देवत्व के उदय को केन्द्र में रख कर आयोजित, इस यज्ञ के कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए यज्ञाचार्य पंडित रेवती रमन तिवारी ने बताया कि 11 दिसंबर को भव्य कलश यात्रा के साथ यज्ञ की विधिवत शुरुआत हुई। राजसूय यज्ञ को समस्त वैदिक विधान विद्वान आचार्यों के सानिध्य में संपादित किया जा रहा है।
" जड़ी बूटियों की सुगंध से पूरा क्षेत्र महक उठेगा"
राजसूय महायज्ञ को दिव्य और भव्य बनाने के लिए आयोजन समिति जी जान से लगी हुई थी। यज्ञ के माध्यम से संपूर्ण वायुमंडल को सुगंधित बनाए जाने की पूरी तैयारी की गई है। महायज्ञ में "सर्वे भवन्तु सुखिनः" के ध्येय को चरितार्थ करने के लिए वैदिक मंत्रोच्चार के बीच एक करोड़ आहुतियां 108 कुंडों के माध्यम से दी जाएंगी। जिसके लिए 108 कुंडों का निर्माण हुआ है। इसमें 101 कुंतल तिल सहित अन्य सामग्रियों और जड़ी बूटियों की आहुति से संपूर्ण क्षेत्र सुगंधित हो उठेगा।
"एक दर्जन धर्माचार्यों का आगमन"
कलियुग में प्रथम चरण में आयोजित होने वाले इस कोटि होमात्मक राजसूय यज्ञ को खास बनाने के लिए बड़ी संख्या में साधु, संत और धर्माचार्य भी भाग लिए हुए हैं। जिसमें बागेश्वर धाम के प्रसिद्ध धर्माचार्य धीरेन्द्र शास्त्री, कथावाचक अनिरुद्धाचार्य, महामंडलेश्वर आचार्य स्वामी भास्करानंद, कृष्ण चंद्र शास्त्री, साध्वी आर्या पंडित और सरोज बाला, मानस मर्मज्ञ गौरांगी गौरी, राजन जी, आचार्य शांतनु महराज के अलावा स्वामी जयदेव ब्रह्मचारी जैसे सनातनी शामिल हैं। इन धर्माचार्यों की अमृत वाणी और मंत्रोच्चार से जहां इलाका गुंजायमान होगा वहीं धर्म संस्थापना का उद्देश्य सफल होने की उम्मीद है।
"20 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान"
राजसूय महायज्ञ के लिए 10 हजार वर्ग फीट में करीब 2 करोड़ की लागत से स्थाई यज्ञ शाला का निर्माण कराया गया है। वहीं हस्तिनापुर सम्राट महाराजा युधिष्ठिर की तर्ज पर सभा मंडप बनाया गया है। जिसे भव्य और सुंदर बनाने हेतु करीब 65 लाख रुपए खर्च किए गए हैं। यही नहीं इस यज्ञ में गुरु शिष्य परम्परा का भी अद्भुत संयोग देखने को मिलेगा। यज्ञाचार्य पंडित रेवती रमन तिवारी ने बताया कि यज्ञ में अग्र पूजा की परम्परा को कायम रखते हुए एक तरफ जहां स्वामी ईश्वरदास ब्रह्मचारी (मौनी बाबा) अपने ब्रह्मलीन गुरु श्रीमहेंद्र मुनि का पूजन करेंगे वहीं जगत गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रा नंद सरस्वती का अग्र पूजन कर इस विधान को पूरा किया जाएगा।
एक नजर इधर भी=
- कलश यात्रा की शुरुवात - 11 दिसम्बर दिन बुधवार
- मण्डप प्रवेश - 12 दिसम्बर
- अरणी मन्थन 13 दिसम्बर
- 14 दिसम्बर से 18 जनवरी तक प्रतिदिन विधिवत पूजन, हवन, कथा, प्रवचन और महाआरती
अंत में- 19 जनवरी को पूर्णाहुति एवं अवभृथ स्नान तथा वृहद भण्डारा का आयोजन।
= क्या बोले यज्ञाध्यक्ष=
यज्ञाध्यक्ष डॉ देवेंद्र नाथ सिंह ने बताया कि श्री श्री स्वामी ईश्वरदास ब्रह्मचारी (मौनी बाबा) के नेतृत्व में राजसूय यज्ञ का आयोजन किया गया है। राजसूय यज्ञ काआयोजन सतयुग में सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र तथा द्वापर युग में श्री भगवान कृष्ण के आदेश पर राजा युधिष्ठिर ने कराया था। राजसूय यज्ञ कलयुग में पूरी दुनिया में पहली बार उत्तर प्रदेश के बलिया जनपद के सिकंदरपुर तहसील क्षेत्र के सरयू नदी के किनारे डूहा गांव स्थित श्री बनखंडी नाथ मठ पर सभी भक्तों के आशीर्वाद और सहयोग से इस राजसूय यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है।
इस यज्ञ को कराने का मुख्य उद्देश्य सम्पूर्ण जीव कल्याण, सम्पूर्ण लोक कल्याण, सर्वधर्म सद्भावना, तथा विश्व के कल्याण के लिए है। इस यज्ञ का आयोजन पूरी तरह से भक्तों के चंदे से हो रहा है। इस यज्ञ के आयोजन से लेकर समापन तक लगभग 20 करोड रुपए का खर्च होने के अनुमान हैं। यज्ञ को पूरा करने के लिए अमेरिका सहित अन्य देश व प्रदेश में रह रहे भक्त चंदा भेज रहे हैं। इस यज्ञ को पूरा होने में कहीं से भी धन की कमी नहीं आएगी।