मास्टर अब्दुल रशीद को सैंकड़ो नमदीदा लोगों ने किया सुपुर्द ए खाक।
रिपोर्ट मोहम्मद आसिफ अता
बांदे/मोरवा,समस्तीपुर/हाजीपुर (वैशाली) तबलीगी जमाअत के मजबूत साथी व समस्तीपुर जिले के मोरवा प्रखंड क्षेत्र के बांदे गांव बाशिंदा अब्दुल रशीद सेवानिवृत्त शिक्षक को स्थानीय कब्रिस्तान में सैंकड़ो नमदीदा लोगों ने सुपुर्द ए खाक किया।इनका इंतकाल बीते दिन मंगलवार को दोपहर 12 बजे लगभग हो गया था।इंतकाल की खबर जंगल की आग तरह फैल गई और बांदे गांव समेत समस्तीपुर,वैशाली,हाजीपुर के अलावा अन्य कई जगहों पर गम की लहर दौड़ गई।लोगों का हुजूम कल से ही बांदे गांव पहुंचने लगा और आखरी दीदार के लिए सुबह तक लोगों का तांता लगा रहा।बुधवार की सुबह तय समय से करीब सवा घंटा देर लगभग 9:15 बजे बांदे गांव स्थित मशहूर मदरसा जामिअतुस्सआदा के बड़े मैदान में कारी अंजार की इमामत में नमाज ए जनाजा अदा की गई।नमाज ए जनाजा में हर मकतबे फिक्र के लोगों समेत पटना,हाजीपुर,समस्तीपुर जिले के सैंकड़ो लोगों ने शिरकत कर दुआ ए मगफिरत की।मास्टर अब्दुल रशीद सेवानिवृत्त शिक्षक होने के बावजूद तबलीगी जमाअत से जुड़कर पूरी जिंदगी दावत ए इस्लाम के लिए वक्फ कर दी।यह बुढ़ापे की उम्र में भी नौजवान को पीछे छोड़कर काफी सक्रिय रूप से दीन के लिए काम करते रहे।थोड़ी बहुत बीमार होने के बाद भी वह कभी बैठे नहीं रहते थे।हर वक्त खुदा का जिक्र,हाथ में तसवीह,लोगों से मुलाकात और सिर्फ खुदा के रास्ते में वक्त लगाने की बात।सेहत में कमज़ोर,पैदल चलने में मजबूत,छोटे कद के बावजूद बड़े-बड़े को दीन की तरफ बुलाने के माहिर और देश के अलावा श्रीलंका,इंडोनेशिया,सउदी अरब जाकर भी तबलीग करना जिंदगी का मकसद समझते।समस्तीपुर जिले के शाहपुर पटोरी के पुरानी बाज़ार स्थित प्राथमिक विद्यालय से सेवानिवृत्त होने के बाद सफर ए हज किया।हर साल तबलीगी जमाअत का चालीस रोज का चिल्ला,महीने का तीन रोज और सप्ताह का दो गश्त पूरे पाबंदी से करते रहे।लोगों से मुलाकात के बाद इत्र लगाना इनकी आदत थी।दो बेटे,तीन बेटी समेत भरा पूरा खानदान को रोता बिलखता छोड़ गए।जबकि बीवी बहुत साल पहले ही इनको छोड़कर मालिक ए हकीकी से जा मिली थी।मास्टर अब्दुल रशीद के जाने से बांदे गांव ही नहीं बल्कि वैशाली, समस्तीपुर जिला का हर इलाका सूना हो गया।इनके इंतकाल से तबलीगी जमाअत में जो कमी हुई है उसे पूरा करना मुश्किल होगा।मास्टर अब्दुल रशीद के इंतकाल पर वैशाली जिले के मशहूर पत्रकार मोहम्मद शाहनवाज अता ने भी गहरे सदमे का इजहार किया है। इन्होंने कहा कि यह हमारे अभिभावक थे। इनके जाने से हम एक अभिभावक के दुआ से महरूम हो गए।