जहन्नम से आज़ादी का अशरा आज से होगा शुरु।
रविवार से मस्जिदों में होगा दस दिनों का एतिकाफ़।
शबे कद्र की पहली ताक रात आज।
माह-ए-रमज़ान का 19वां रोजा अल्लाह की इबादत में बीता।
सैय्यद फरहान अहमद
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
माह-ए-रमज़ान की आमद से लेकर अब तक रोजेदार अल्लाह की रहमत से मालामाल हो रहे हैं। रहमत, बरकत का सिलसिला बदस्तूर जारी है। मस्जिद व घरों में कसरत से नमाज़ पढ़ी जा रही है। कुरआन-ए-पाक की तिलावत जारी है। मग़फिरत का अशरा रविवार 31 मार्च की शाम समाप्त होने वाला है। इसके बाद जहन्नम से आज़ादी का अशरा शुरु होगा। अंतिम अशरे में दस दिनों का एतिकाफ किया जाएगा। जो रविवार शाम से शुरु होगा। वहीं शबे कद्र की ताक रातों में जागकर इबादत की जाएगी। शनिवार को 19वां रोजा अल्लाह की इबादत में मुकम्मल हो गया।
हाफिज अशरफ रज़ा ने बताया कि शबे कद्र की ताक रात रविवार 31 मार्च (21वीं), मंगलवार 2 अप्रैल (23वीं), गुरुवार 4 अप्रैल (25वीं), शनिवार 6 अप्रैल (27वीं) व सोमवार 8 अप्रैल (29वीं) को पड़ेगी। हमें उक्त रातों की कद्र करते हुए खूब इबादत करनी चाहिए।
ईदगाह रोड बेनीगंज मस्जिद के इमाम कारी शाबान अली बरकाती ने बताया कि शबे कद्र के बारे में अल्लाह तआला फरमाता है कि 'बेशक हमने कुरआन को शबे कद्र में उतारा। शबे कद्र हजार महीनों से बेहतर है' यानी हजार महीना तक इबादत करने का जिस कदर सवाब है उससे ज्यादा शबे कद्र में इबादत का सवाब है।
सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफरा बाज़ार के इमाम हाफिज रहमत अली निजामी ने बताया कि रविवार 31 मार्च की शाम से शहर की तमाम मस्जिदों में एतिकाफ शुरु हो जाएगा। रमजानुल मुबारक के आखिरी अशरा (अंतिम दस दिन) का एतिकाफ (मस्जिद में इबादत के लिए ठहरना) सुन्नते मुअक्कदा अलल किफाया है यानी मोहल्ले की मस्जिद में किसी एक ने कर लिया तो सबकी तरफ से अदा हो गया और अगर किसी एक ने भी न किया तो सभी गुनहगार होंगे। महिलाएं घर में एतिकाफ कर सकती हैं। वह घर का कोई एक हिस्सा निर्धारित कर लें और वहीं एतिकाफ करें। हदीस में है कि एतिकाफ करने वाले को हज व उमराह का सवाब मिलता है।