माहवारी आने से रोज़ा टूट जाएगा - उलमा किराम
सैय्यद फरहान अहमद
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
उलमा-ए-अहले सुन्नत द्वारा जारी रमज़ान हेल्पलाइन नंबरों पर सोमवार को सवाल-जवाब का सिलसिला जारी रहा। उलमा किराम ने क़ुरआन व हदीस की रोशनी में जवाब दिया।
1. सवाल : रोज़े की हालत में अगर हैज (माहवारी) आ जाए तो उसके लिए क्या हुक्म है? (मो. इस्लाम, सिधारीपुर)
जवाब : रोज़े की हालत में अगर मगरिब से पहले पहले किसी भी समय महिला को हैज आ जाए तो उसकी वजह से रोज़ा फासिद (टूट) हो जाएगा और पाक होने के बाद उस रोजे की कज़ा रखना लाज़िम है। (मुफ्ती अख्तर)
2. सवाल : सदका-ए-फित्र कब निकालना चाहिए? (मो. आजम, रायगंज)
जवाब : ईद के दिन सुबह सादिक तुलू होते ही वाजिब होता है, लेकिन हो सके तो रमज़ान में ईद से कुछ दिन पहले ही निकाल लें ताकि ग़रीब हजरात भी अपनी जरूरियात पूरी कर ईद की ख़ुशी में शरीक हो सकें। (मुफ्ती मेराज)