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धार्मिक / Apr 14, 2023

नमाज व कुरआन-ए-पाक की तिलावत में बीता 21वां रोजा।

सैय्यद फरहान अहमद 

गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।

 तल्ख धूप के बीच 21वां रोजा अल्लाह की हम्दो सना में बीता। मुकद्दस रमज़ान का तीसरा अशरा जहन्नम से आजादी का शुरु हो चुका है। गर्मी से रोजेदारों को कोई राहत मिलती नहीं दिख रही है। मस्जिद व घरों में नमाज और कुरआन-ए-पाक की तिलावत का सिलसिला जारी है। एतिकाफ करने वाले इबादत में मशगूल हैं। अल्लाह के बंदों ने इबादत कर गुनाहों की माफी मांगी। सेवईयों की खरीदारी में तेजी है। बाजार में रौनक है। दिन रात बाजार गुलजार नज़र आ रहा है। ईद के लिए उर्दू बाज़ार रेती, घंटाघर, शाह मारूफ, रेती, गोलघर, जाफरा बाजार आदि सज चुका है। खरीदारी जोरों पर है। लोग यहीं से ईद की खरीदारी करना पसंद कर रहे हैं।

मदरसा शिक्षक मोहम्मद आजम कहते हैं कि सामान्यत: अन्य महीनों में और खास तौर पर रमज़ान माह में फकीर, गरीब, यतीम व अन्य मोहताज मांगने वालों को न झिड़कें। खास तौर से मदरसे के प्रतिनिधियों के साथ मेहरबानी और अच्छा सुलूक करें। उन हजरात का काम है कि रमज़ान में भूखे प्यासे रह कर मालदारों के माल का जकात लेकर माल पाक करना। अगर मौका मिले तो उनको इफ्तार और खाने में शरीक करें और सवाब हासिल करें। 

मदरसा शिक्षक नवेद आलम ने बताया कि पाक कुरआन कहता है कि तुम वह बेहतरीन उम्मत हो, जिसे लोगों के लिए बनाया गया है। तुम्हारा काम है कि तुम लोगों को नेकी का हुक्म दो, बुराई से रोको, अल्लाह पर यकीन रखो। रोजे में अल्लाह का खौफ, उसकी वफादारी, इताअत, मोहब्बत तथा सब्र का जज्बा हमें इंसानियत और इंसानी दर्द को पहचानने की सीख देता है। 

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Jr. Seraj Ahmad Quraishi
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